Book Title: Anusandhan 1994 00 SrNo 03
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 42
________________ लश्करी द्रष्टिए महत्त्वना तारंगानुं नाम पण भाषाकीय नजरे केटलुक सूचवे छे. तारंगाना देहेरासरमां प्राप्त लेखमां 'तारंगक' नामनो उल्लेख छे. आमां तारण के बचावसूचक धातु वपरायेलो जणाय छे. तेने पाणिनीय धातुपाठनो 'ऋक' धातु पुष्ट करे छे. आ धातु रक्षण -- तारणना अर्थमां वपरातो होय, तेनी परथी 'तारंगक' जेवो शब्द साधित थाय अने 'तारंगक,ना अत्यं 'क'नो लोप थता 'तारंगा' स्वरूप थाय. ___ आ उपर्युक्त परिस्थितिनुं स्थानिक पुरावस्तुओ समर्थन करे छे. मानव वसवाट माटे जरूरी एवा रहेवाना मकानो, मार्गो, मूर्तिओ, माटीकामना अवशेषो वगेरे अत्रे वीखरायेलां पडेला छे. आ अवशेषोनी चारेबाजु दुर्गनी रचना छे. तेनां दरवाजा आदिमां जीर्णोद्धारो थया मकान अने वासणो अजितनाथनी खीणनां विशिष्ट लक्षणोमां पर्वतनी तळेटीना धीमा ढोळावो छे. आ ढोळावोने समतल करीने मकानोनी रचना थई छे. तेथी ते मकानोनुं बांधकाम करवा माटे नाना टेकरानी आजुबाजु पथ्थरोनी भीत बनावीने जमीन समतल करवामां आवी छे. आवी समतल जमीनना तथा भीतोना अवशेषो अजितनाथना देरासरनी बन्ने बाजुए तथा पश्चिममां घणी जग्याए देखाय छे. आ अवशेषोमां स्थानिक ग्रेनाईटना पथ्थरो तोडीने ते गोठवीने बनावेली भीतो एकबीजाने काटखूणे मळती देखाय छे. तेमां केटलीकवार नीचे मोटी भीतथी जमीन समतल करीने तेनी उपर प्रमाणमां नानी भीतो बांधेली छे. आ भीतो पथ्थर अने ईटोनी बनावेली छे. अहींनी ईटोनी भीतो माटे छीन्नभिन्न थयेली छे. पण केटलीक जग्याए व्यवस्थित सचवायेली जोवा मळे छे. अहीं वपरायेली इंटो 45x30x7से.मी. ना कदनी छे. तेथी तेनी सरखामणी देवनी मोरी ना स्तुप तथा तेनां समकालीन बांधकाममां वपरायेली आ कदनी इंटो साथे थई शके. तेना अनुकालीन युगनी इंटो 37.5x30x7नी छे. सुलतान युगमां 30x22.5x7नी इंटो वपरायेली छे ते बाबत लक्षमा लेता आ अवशेषो दोढहजार वर्ष करता जूनी परंपरा दर्शावे छे. __ आ अवशेषोमां माटीना नळियां तथा वासणो वगेरे घरवखरी मळी आवी छे. नळियां आजना मेंग्लोरी टाईल्स साथे समानता धरावता बन्ने बाजुए उभी धारवाळा छे आने 'थापलां' कहे छे. जे देवनी मारी तथा तेना समकालीन स्तरोमां प्राप्त 'थापला' करता उंची धारवाळा छे. एनी शैली परथी देवनी मोरीना अनुकालीन लागे छे. ए परथी अहीना मकानोनो काळनिर्णय करता ते हजार वर्ष करता वधु प्राचीन होवानुं सूचवे छे. माटीना कोडिया वाडका, कथरोट, हांडी जेवां वासणोनां ठीकरां पण अत्रेथी मळे छे. ते थापलाना समयना लागे छे आ परिस्थितिमां आ वसवाट आशरे हजार - बारसो वर्ष जूनो गणवामां [41] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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