Book Title: Anusandhan 1994 00 SrNo 03
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 48
________________ A. Metteए १९७४मां ‘ओहनिति', 'पिंडेसणा' प्रकरण जर्मन अनुवाद अने टिप्पण साथे प्रकाशित कर्यु हतुं. प्रस्तुत पुस्तकमां बोलेए ‘पिंड-निचुत्ति' अने ‘ओह-निनुत्तिनी पाद-सूचि अने 'ऊलट-पाद-सूचि' (पादना अंत्य वर्णोना, जमणेथी डाबे, एम ऊलटा क्रम उपर आधारित पाद-सूचि) आपी छे. एनो हेतु ए नित्तिओनी परस्पर तुलना करवानो, तथा 'आवस्सय', 'आयारंग' अने 'दसवेयालिय' जेवानी साथे तुलना करवानो अने उद्धारणोने ओळखवानो छे. आनुं नलिनी बलबीरे Bulletin d'Etudes Indiennees (ग्रंथ९, १९९१)मा अवलोकन कर्यु छ (पृ. २८३-२८४). आनो बीजो भाग आ मासमां प्रकाशित थयो छे, एम बोलेए तेमना पत्रमा माहिती आपी छे. बोलेए १९७७मां ‘सूयगड'ना केटलाक अंशोनो जर्मन अनुवाद प्रकाशित कर्यो हतो (Studien zu Suyagada). Herman Ticken तरफथी १९८६मां प्रकाशित एक लेखमां बोलेना अनुवादनी समीक्षा करवामां आवी छे. (Textual Problems in an early canonical Jaina text, WZKS, ३०, १९८६, पृ. ५-२५). टीकननुं हालनी 'सत्तसई'नी १थी५० गाथाओनो समीक्षात्मक पाठ, अंग्रेजी अनुवाद अने टिप्पण साथे १९८३मां लायुडन (होलेन्ड)नी विख्यात प्राच्यविद्या संस्था Kern Institute तरफथी प्रकाशित थयेल छे. ४. Isibhasiyaim : Pada Index and Reverse Pada Index. M. Yamazaki and Yumi Ousaka. १९९४. उपरनी पद्धतिए तोक्यो (जापान)नी Chuo Academic Research Institute तरफथी यामाझाकी अने औसाकाए 'ईसिभासियाइं'नी पाद-सूचि अने ऊलट-पाद सूचि प्रकाशित करी छे. 4. Dasaveyaliya : Pada Index and Reverse Pada Index. (१९९४) ए ज पद्धतिए उपर्युक्त संस्था तरफथी उपर्युक्त विद्वानोए 'दसवेयालिय'नी पादसूचि अने ऊलट-पाद-सूचि प्रकाशित करी छे. ६. Mahanisiha : Studies and Edition in Germany. Chandrabhal Tripathi. १९९३. त्रिपाठीए ‘महानिसीह'ना विषयमां तेनी हस्तप्रतो, पाठसंपादन, विषयवस्तु, भाषा, छंदो, अन्यत्र प्राप्त समान अंशो, समयनिर्णय, कर्तृत्व वगेरे विशे जर्मन विद्वानोए अद्यावधि करेला कार्य- सर्वेक्षण अने सारांश प्रस्तुत कर्यां छे. ७. A Study of the Bhagavatisutra. Suzuko Ohira. १९९४. ओहिराए चार प्रकरणमां (१) जैन आगमग्रंथोर्नु उत्तरोत्तर पांच तबक्कामां कालानुक्रमिक विभाजन, (२) - (३) 'भगवती-सूत्र'ना वीश अध्ययनोनुं विषयवार सविस्तर विश्लेषण अने उपर्युक्त योजना अनुसार विविध अंशोनो तुलनात्मक कालनिर्णय अने (४) निष्कर्षो रजू [47] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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