Book Title: Anusandhan 1994 00 SrNo 03
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 52
________________ नुं एडिथ नोलटे करेलु अवलोकन. ए निबंधोमां व. Sakamoto Grotoए त्व, प्प, संबं. भू.क त्वा अने त्वान(म्)नो मध्यम भारतीय-आर्यमां विकास, L.A. van Dalen um 'गउडवहो' वगेरेमांनो अह (सं. अथ) शब्द नो प्रयोग, K. Bruhn एणे जैन साहित्यना अध्ययनोना तर्कसंगत वर्गीकरणनी पद्धति, पद्मनाभ जैनीए श्रीभूषणकृत ‘पांडवपुराण'ना मूळस्रोत, वगेरे विषयोनी चर्चा करी छे. (४) बोलेनी 'पिंडनियुक्ति' अने 'ओघनिर्यक्ति'नी पाद-सूचिओनुं नलिनी बलबीरे करेलु, A Metteना जैन साहित्य संदोह (संस्कृत अने प्राकृत कृतिओमांथी पसंद करेल खंडोनो जर्मन अनुवाद - शीर्षक : Durch Entsagung zum Heil - १९९१)नुं कोलेत कैय्याए करेलु. (५) जयंक कोठारी संपादित-संवर्धित 'जैन गुर्जर कविओ' (मो.द.देसाई) (१९८६-१९९१)नुं नलिनी बलबीरे करेलुं - ए अवलोकना आपवामां आव्यां छे. (३) ए ज सामयिकना दशमा ग्रंथमां (१९९२) कोलेट कैय्याए पालिमा हन् धातना चार जुदांजुदां अंगो सकर्मक वर्तमानमां वपरायां छे तेनी, तथा ‘महानिसीह' मां मळता विध्यर्थरूपा लब्भे, जनेनी चर्चा करी छ. फिलिस ग्रेनोफे मरणोत्तर पवित्र पुरुषो अने पूर्वजोनी स्मृतिमां देवालय, तीर्थ, दान वगेरेनी जैन परंपराना साहित्य अने उत्कीर्ण लेखोने आधारे विचारणा करी छे. हर्मान टीकने हालकृत ‘सत्तसई मां प्रयुक्त एवा सोळ शब्दोनी चर्चा कग रे. जेने परंपगमां देश्य गण्या छे, पण जे संस्कृत मूळना होवानुं जणाय छे. ए ग्रंथमां (5) Indological Studies (ह. भायाणी, १९९३), नलिनी बलबीरे करेलुं. (२) Paul Dundasना The Jainy कोलेत कैय्याए करेलु, (३) Jain Studies in Honour of Jozef Deleuनी (१९९३)नु कोलेत कय्याए करेलु, (४) Ernest Bender संपादित 'शालिभद्र-धन्न-चरित' (१९९२)नु नलिनी बलबीरे करेलु -- ए अवलोकनो प्रकाशित थयां र.. (४) वोशिंग्टन युनिवर्सिटी (सिएटल)मां जुलाई ७थी ९ (१९९४) ए दिवसामां नव्य भारतीय - आर्य भाषामां रचायेला पूर्वकालीन साहित्य विशे छठ्ठी आंतरराष्ट्रीय परिपट मळी गई. तेमा प्रस्तुत थयेला निबंधोनो ते वेळा जे संक्षिप्त सार प्रकाशित थयो छे तेमां Richard Cohenना निबंधमां श्रीधरकृत ‘पासणाहचरिउ' (इ.स. ११३३मां रचित बार संधिअपभ्रंश चरितकाव्य)मां प्रयुक्त रूपक, श्लेष अने अनुप्रास अलंकारोनी चर्चा करवामां आवा डे. ह. भायाणीए मुनिविनयचंद्रकृत 'चूनडिया' काव्य (लगभग १३मी शताल'. भार उत्तरकालीन अपभ्रंश)ने आधारे चूंद डीविषयक मध्यकालीन संतसाहित्यमां अनं -"कसाहित्यम मळती रचनाओ विशे चर्चा करी छे. .भा. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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