Book Title: Anusandhan 1994 00 SrNo 03
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 46
________________ ग्रन्थ - माहिती १. अर्स्ट बेन्डर संपादित ग्रन्थरत्न 'ओन धि शालिभद्र • धना - चरित' (जूनी गुजराती रासकृति; कर्ता : श्रीजिनसिंहसूरि - शिष्य श्रीमतिसार; र.सं. १६७८; प्रकाशक : अमेरिकन ओरिएन्टल सोसायटी, न्यू हेवन, कनेक्टीकट, ई. १९९२, अमेरिकन ओरिएन्टल सीरीझ वॉ. ७३) युनिवर्सिटी ऑव पेन्सिल्वेनियाना साउथ एशिया स्टडीझ डिपार्टमेन्ट अने ओरिएन्टल स्टडीझ डिपार्टमेन्टना प्रोफेसर डॉ. अर्स्ट बेन्डर (ERNST BENDER) नामना भारतीय विद्याना ऊंडा अध्येता विद्वाने घणां वर्षोनी खंतीली अने निष्ठायुक्त जहमतपूर्वक प्रस्तुत संपादन तैयार कर्यु छे. आ ग्रंथर्नु अछडतुं विवरण आ प्रमाणे छे : प्रकरण १. शालिभद्र-धन्ना- संक्षिप्त चरित्र, अंग्रेजीमां. पृ १ थी ७.. २. 'रास'नं बंधारण : रासगत छंदो वगेरे विशे विस्तृत पृथक्करण, पृ. ८ थी १८. ३. हस्तप्रतो अने पुष्पिकाओ : पृ. १९ थी ३०. ४. व्याकरण : रासना तमाम विशिष्ट शब्दो तथा प्रयोगोनुं व्याकरणनी तथा भाषाशास्त्रनी दृष्टिए विश्लेषण - मूल्यांकन - साधन. पृ. ३१ थी ९२. ५. रोमन लिपिमां संपूर्ण रास-पाठ, पृ. ९३ थी १४१. ६. आ संपादनमा प्रयोजेली कुल २८ हस्तप्रतिओमां प्राप्त थता असंख्य पाठान्तरो/ पाठभेदोन, रासनी कडीवार संकलन, प्र. १४२ थी ३०२. ७. रास-आधारित शालिभद्र-धन्नानी कथानो अनुवाद. पृ. ३०३ थी ३४८. आ पछी बे पृष्ठमां संकेत-सूचि. ८. रासगत शब्दो (रोमन लिपिमा) तथा तेना अर्थो अने ते माटेना संदर्भ - संकेतो अकारादिक्रमे, पृ. ३५१ थी ५३१. ९. रासनी कडीओनी आद्य पंक्तिओनी अकारादिक्रमे सूचि (रोमनमा), पृ. ५३२ थी ५५१. १०. रासनी ढालोमा प्रयोजायेली देशीओनी सूचिनां २ पृष्ठ. . ११. आ संपादन माटे उपयोगमा लीधेला संदर्भग्रंथोनी सूचि, ६ पानांमा. १२. छेल्ले जनरल इन्डेक्स, पृ. ५६१ थी ५७२. कुल पोणा छसो पानांमां पथराएलु आ काम, मुद्रणनी दृष्टिए तो अतिउत्कृष्ट छ ज, परंतु संपादन, संशोधन अने अध्ययन करवाने उत्सुक अध्येताओ माटे संपादनकलानो एक आदर्श/उत्कृष्ट नमूनो पण छे. एक पण अक्षर के वाक्य निराधार न होवू जोईए, अने जे प्रयोग हस्तप्रतमां होय तेनुं समग्रपणे पृथक्करण करीने ज तेनी योग्यायोग्यता के शुद्धाशुद्धता विशे निश्चय करवो घटे - एवो संदेश आ ग्रंथ आपी जाय छे. एक पाश्चात्य माणस, संस्कृत [45] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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