Book Title: Anukampadan
Author(s): Yugbhushanvijay
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 347
________________ 342 रखने क्यारे मिध्यादृष्टि कली जुळीने याप न उरे, तो जैमा चाय डोने ઓછુ બંધાય? ભૂમકિતી करगी जुळीने या अनुमोहूंना वगर याय ९३ छे. चायनी अनुमोहना डरोतों तीव्र पाप जंधीय, या समडिनी चायनी अनुमोहना उँधमा यल नही करतो माटे लेने युलानो छू अनुबंध चडे छे सुकलता आप करे छे तेनामा चायनी होने तेथी होने तीव्र पापू रानुबंधने ज्ञान के ज्ञान साधे सर्जध नही चला बुद्धि-सूशय साधे सर्जध छे होने पुष्यनो अनुबंध रखो होचतो शय पसरवी पडे क्यारे के जनमोहना घाय जंघांच छे यसखी खेटते 12 यि चवैराग्य जने विवेक छे, सामायिक करता केन "गृहा रखने युय દ્વારા કોચ બદલવાની तमाम प्रयोनी हथनी खनुमोहना छे, नेने थोडसे अनुबंध पडे छे. तेषु ४ चूक वगेरे અનુષ્ઠાનનાં પણ સૂમવાનું. અટરમાં सध हुया याय के ते लेवान धागा सोडी राग मैथ सहकार के शारा क 0 સિડ ནི༔ मानीने खां सहित डोब वगेरे बाधामा आयरना होय रायलानोलाव 1 હોય ત્યાં પાપની ાય છે તેની પાપનો અનુબંધ छे होषना खात्माने यापनो अनुजेध छे नेवा आत्माना गुलो पा पोषक तरीके मानीचे छीखे हिमा डवाचनो उपशम भविष्यमा पापनी परंपरा सर्वशे मिध्यात्वीनी क्षमा लविस्यमा ड़ोधन डारज भ

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