Book Title: Anukampadan
Author(s): Yugbhushanvijay
Publisher: ZZZ Unknown
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डे केनाथी
बेमाथी पुष्यनो अनुबंध पंडे ने कन्मोल्ल्म
શુભ અનુબંધ
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ד.
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बाय
वृद्धि नुं
ગુણને ગુણાકાર કરે છે. चुलचनो धर्म सामग्री नो विकासनों
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चायना गुलाकार ९२शे होषनो धर्मनो
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શુલ અનુબંધી વિડાભી અનવૃધ્ધ થયા क्यारे પાપના અનુડી ઉલટ જ થાય
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४
दुबे के तैनाथी वृद्धि धाय खनुजैध विचारी, तेना इसने सुमन भुवनमा प्रसंग युटूयना अनुबंध डेम पांडवा त समूल्वु लमे खेडवजन सायाः रस्त मठा लवोन
ગુણ ६३६
अनुबंध छेवरे गुगांडार ગુણાકાર होषनी उत्तरोत्तर परंपरानी प्यतिखे युष्य ने
चायुना
भेळ खे खेटले
खागता
नुं ने थाँ भय
छ
આ
उधार पासु हनु तें कमा धवानुं त्यालु પુષ્ય બધા પછી પણ राजोनो चुल्य घटवा मांडो चां जया यछी के चायनी धंशैतो तें
બધિ હૈડાહી रीते
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तेवी साथी रीते गृहा पुल्य - चापमा नवा जन्नेमा
जाँघेला
થટી gret परस्पर सजेध छे ूना
सबंध हो, अधैथी तो કાનચલસૂવું લાગ
छे भयारे यूनुजंध तो 812 जने छे
लमने उत्तरोत्तर तरीके
उहाहरल

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