Book Title: Anukampadan
Author(s): Yugbhushanvijay
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 392
________________ 38.7 आत्मा quant पब? quality कां के इस छे तेनाधी ड्यांचे चहाची लय छे लवमा खेड खीर पहरावी चल ड्यो ल गय आवा नाना धर्मधी विकास पछी विासनु આયોજન तेना द्वारा थाय छे शासिल खागसा ते दान लेने तीर्थकर संसारमा डेम रह्या छे? पुण्यकर्म तेम में नही खरावनुं पल नियत शास्त्रि मोहनीय दुर्मना डारो प्रभु महावीर संसारमा रह्या छे. सभा:- चुल्य उर्म चहल नियत होय? संज्ञा साहेजा, डोच ४, माटे ४ तेमने यश. हिर्नी, नाम, मोलो बंधु ४ भजे छे पुष्यखन चाप बन्ने निशित होच, छे, निडायित योग्य लाव होयतो निडासित पुण्य ने पाप बंधाच . छे तेम जेध लेवामां - प्रेम अनुबंध-बंध जन्ने करता निर्धायतनु कुहु ईइटर जधान उहा ू સમ सला: ड्यु धर्म नंडे यमून 232 पुरुषार्थ जल्ने नै तमने नही कहीं शडशी साहे जळ:- निहायत धर्म ड्डे समने नडता नही चल तमे भने छो तमे छाती पर हाथ डीने जरा डे "समे यथाशकिल कधी पुरुषार्थ खा संसार धी छूटखा मारे डरी छूटया के अने छत्ता समे नही छूटी राहूचा केली पूरेयुरी पुरुषार्थ ड्र्यो होय इज न मजेतो. ते निहायत धर्म उहवाच. तमने संसार बहुत गमे छे तेथी संसारमा जेठा छो न

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