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________________ डे केनाथी बेमाथी पुष्यनो अनुबंध पंडे ने कन्मोल्ल्म શુભ અનુબંધ "1 ד. " " बाय वृद्धि नुं ગુણને ગુણાકાર કરે છે. चुलचनो धर्म सामग्री नो विकासनों .. 1 "1 " चायना गुलाकार ९२शे होषनो धर्मनो " " " શુલ અનુબંધી વિડાભી અનવૃધ્ધ થયા क्यारे પાપના અનુડી ઉલટ જ થાય " " ४ दुबे के तैनाथी वृद्धि धाय खनुजैध विचारी, तेना इसने सुमन भुवनमा प्रसंग युटूयना अनुबंध डेम पांडवा त समूल्वु लमे खेडवजन सायाः रस्त मठा लवोन ગુણ ६३६ अनुबंध छेवरे गुगांडार ગુણાકાર होषनी उत्तरोत्तर परंपरानी प्यतिखे युष्य ने चायुना भेळ खे खेटले खागता नुं ने थाँ भय छ આ उधार पासु हनु तें कमा धवानुं त्यालु પુષ્ય બધા પછી પણ राजोनो चुल्य घटवा मांडो चां जया यछी के चायनी धंशैतो तें બધિ હૈડાહી रीते ག तेवी साथी रीते गृहा पुल्य - चापमा नवा जन्नेमा जाँघेला થટી gret परस्पर सजेध छे ूना सबंध हो, अधैथी तो કાનચલસૂવું લાગ छे भयारे यूनुजंध तो 812 जने छे लमने उत्तरोत्तर तरीके उहाहरल
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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