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________________ 365 हुमारयाज राजनुं दृष्टांत सर्व से हुमाश्याण राजो खागलो लवू नारगीचे तो नेमूना डोह सेवा देहार गधी ते उजतना मार्गे मार्गे यडी ना पत्र पछी तेमने थोडी सामग्री मजी तेमा युल्यानुलबंधी पुलयनो विकास भयो. डारालून सामा नेमने जीभ 2.4. सायो धर्म ने वखते ध गयो देखो खांगला लघूमा चत्त्र शब्हुमार हुता. कलाडू नाम हनु यात लाड डोडमा उछरे छे यहां सोबत खुराज होवाना डारगे बंधा व्यसनो लागी गया. तेनां पिताने तेमना पर घणी लागली छेः पा होमने योरीनुं व्यसन होताना डावलो घरमा तेमने राजी शडाचं प्रेम नही तेथी न् सगा जायजे प्रेम होगा तु सुधरशे नहितो नने घरमा रजाशे नहि. ति यह योनानी भतने कहो के तेजी घरमाथी नीडजी लूय छे. साधे तेनी जहेन या भेने तेना लाई प्रत्ये खत्यंत खूत्यंत लागूगी होवाथीं साथै क्षत्रिय हो. ૨ાજની જુ चोने युवान लागे नम छे बुरी शंडे 2 छत्ता 1 3जी लच खा चोते शास्त्र उजा सारी को छे पने शूरवीर योद्धा तरीके डाम पाछो व्यसन वापो मागस जीतु खेटलेते थोर - घोड्याडु साधे रहे छे. योतानामा शूरातन होयाना डारो यल्लीनों नायक जन्चो छे हरायार सेववा આ ४ खेनु कवन छे. प्यार तो तेने पुलयको भायला अनुबंध नांधी व् अनुजध जाँही छे चायना વિયારો કે એકવખત ભુતકાળમાં અટા होवा छत्ताया 214 खेडवखत के खामी
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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