Book Title: Anukampadan
Author(s): Yugbhushanvijay
Publisher: ZZZ Unknown
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વૈશમાં
यावडाना
हो खा भवे लाई त्रिलोवनयाजना हिउरा तरीके डला विज्ञानमा निस्त्रान
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થયા
राभ
सिद्धाराकने जेा युग न होवाथी खेड वजन योतिषने पूछे छेडे "मारा मृत्यु पछी मृत्यु पछी माइ डोला वारसहार धशेर" प्यारे व्योतिष सवलोकन करीने અવલાન डहयु दे रखा વ્હાઈના ડિશ डुमारयाज ४ धंशे सामतो नाये जो हिदुरी अंधे हुशमनून
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374
સિધ્ધરાજના लीधो छे
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डहेवाच चहा खागला सूत्यंत घर छे हवे या डूमा ने
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राम
खागला लवना शका सिद्धाराळं ने कुमारपाज सखत्त विरोध छे.. खागला लवमा के रोडियो क्षेमनाथी टायेली ने काया सिद्धरान धयो छे परस्पर वेर छे तेथी
सिधराने तेने (डुमारपापक
राक
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पडडवानो हुडक उचै छे. माथे मोत हेजाता डुमाश्यांज लॉगीने छुयारों का हो बचा लेने हिवस्ना उपवास तेना निडायित
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g हिंसा करेली ઉથના खाया छे. पणवर्ष सुधी खावा नजीरा यहा रस्ते रखडता रहूया छे. निडायित उर्मोनो लोगलवा or यडे. खामनो लेमना दुरेला म अगाले घलु लोगवलानुं खायत चला जीभु धगा चापतो खाय मेजे खसरी गया प्रेमा युब्धानुजंधी पुण्य डारा डारा जन्धु थें जहा पल्यना डारले हेम सन्दधुरी कुवो धयो ने केनाधी
युल्यानु निमने मेपाप येथी
वधारे
आराधना १२१ શાસન પ્રભાવના દુજાએ
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