Book Title: Anukampadan
Author(s): Yugbhushanvijay
Publisher: ZZZ Unknown
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21101 08
! पुष्पथी ते
3 अंधाय या विकल्प
युग्यू
महि
जने ते
मजे रखने तेनाथी याप खेडीत गयी. जेधी चायाजु सायो है, या मुख्यानुजचे पुष्य मारे संसारनी लोग सामग्री साहे धर्मनी सामग्री चहा मजरो के लोग सामग्री दुर्ग श्रच डे साराधनाने बाधक नाहू होच युष्य धर्मदाय डे खारधिना मार साधन किजमी गंगाच नाह तमने खत्यारे के यूष्य मायु छ तैनाथी छेन्छ्यौ सायुष्य मनुष्यलय सत्ता सर्यान बंधने तमे सर्याच जई के पुण्यना विचाउनु छः स्था Su भेडी शकता हो जने तेनाथी दुरी शडता खात्मड त्याल हो तो ते पुल्च धर्मनु साधन जनशे तीर्थंकरने यो विचाड होय छे. थे यहा उत्तम पुरुषों, शाय जधा पल्यशाली 2 होय छेतीरोन 24 देर तो के सद्वितिय ? जज डेबू ? सौलाग्य दे र जुधा सद्वितिय तेमने
9. जुधि शडित - ज्ञान
धर्ममा
चला
मंज
संयोग, तेमने exts ज्ञान खूने बुद्धि रंगां लघु तेमना Tauis g रचन खा क़ साधन उपयोग संनर्थमां
+112
जने
कवान चमावा अपनो चल
8
येक रात
99
महिनाकला
साधना द्वारा सार- यार महिना शरीरं जज होवाथी डरी चल उमा राजेलो शुं धावू? ०१-६ शरीरञ्जनें सीधे भ लोगस्सनो डाउसका खुत्यारे तमारी मनोजय या नही
हरता बेटली
उपवास चट्टा छे
अरे हल्चा
शड्या
तमता
शक्ति चला
जा
378
४०
५२२॥ 1.
नधी ने
पूल्य भगतना
तेमना नही ४धतो.
5 स ध्यानमा शड्या भ्यारे तमने
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