Book Title: Angarak
Author(s): Yogesh Jain
Publisher: Mukti Comics

View full book text
Previous | Next

Page 3
________________ और अंगारक की कथा सुनकर भोलू अपने घर आया लो प्यारी संसार का सबसे सुन्दर हार.... दूसरे दिन जब हार पहनकर उत्सव में गई अंगारक. ये कितनी निर्दयी दृष्ट औरतें.. | मेरे हार कंगन को कोई देख ही नहीं रहीं.... ना कोई पूछ रही.. दु:खी सेठानी ने गहने दिखाने की एक तरकीब निकाली। अपने घर में स्वयं ही. आग लगाकर आग- आग... बचाओ- बचाओ... 27 वाह ! सचमुच कितना सुन्दर... तुम बहुत अच्छे हो

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10