Book Title: Angarak
Author(s): Yogesh Jain
Publisher: Mukti Comics

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Page 6
________________ मुक्ति- कॉमिक्स पर जैसे ही घर के बाहर आता तो वह देखता है कि अरे वाह ! छ्य भाग हमारे, अतिथि - पूजासत्कार का महान । सुअवसर / मुनिराज! लगता है साक्षात् । मोक्षमार्ग ही हमारे द्वार पर चलकर आ रहा हो महान पुष्योदय से अंगारफ पत्नी साढत मुनिराज को पड़गालन कर आहार देगका तभी घर के आंगन में वृक्ष पर बैठा भूखामेर नीचे उतर आता

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