Book Title: Angarak Author(s): Yogesh Jain Publisher: Mukti Comics View full book textPage 2
________________ 26 मुक्ति कॉमिक्स तुम्हें क्या हो गया है ? भैस के गले में बँधी मॉकल की तरह गूले में हार बाँध लेने से समाज में इज्ज़त लोती है म उपदेश नटी ठार-चाहिये हार.. फूलस्वरूप पत्नीपीड़ित भोलूराम सर्राफ की दुकान पर जा पहुंचा। 3552 सेठ जी! कोई ऐसा सुन्दर हार दिखाओ जो किसी के पास न टो। अच्छा ! बैठो, लाता हूँ। ऐसा हार,जो संसार में कोई न बना सके -- ये लो बस एक टी है। अंगारक ने बनाया था, जो राजा का विशोष सुनार था, पर अब वह कभी नहीं बनायेगा - -18 पर ऐसा क्यों? पूरी बात कहोन]Page Navigation
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