Book Title: Ang 01 Ang 01 Acharang Sutra Author(s): Ravjibhai Devraj Publisher: Ravjibhai Devraj View full book textPage 9
________________ भावना. नगरमा रहेला तयाम जीवो सुख पामो, तेयना' तमाम दुःख दरद दूर थाओ, अने तेओमां सत्य ज्ञाननो प्रकाश थाओ, ए अमारी पेहेली भावना छे. १ धर्म शास्त्र अने सायन्स [सिद्ध पदार्थ विज्ञान शास्त्र] नो ज्यां परस्पर विरोध पडतो होय, तेवा स्थळे धर्म शास्त्रोमां वपरायली गुप्त [सांकेतिक भाषा लक्षमा लइ तेना शम्यक् अर्थ करवा माटे खरेखरा बुद्धिमान् महा पुरुषो ऑ भूमंडळपर अवतरो, तेओ आंधळी श्रद्धाए न दोरातां खलं सत्य शोधीने सत्यनेज कायम राखवा दरेक धर्मशास्त्रनी गुप्त वाणीना ते ते देशकाळने अनुसरता घाटत अर्थ बतावीने जनमंडळमां व्यापी रहेला मिथ्यात्व [जुठ अने व्हेग] नुं उच्छेदन करो,-ए अयारी बीजी भावनाछे. धर्म विरोध दूर थाओ. सपळा धर्मोमां दयानो महिमा द्रढ मूळ थाओ, सधळा धर्मोमां सत्यनां मूळ शोधाओ, अने ए रीते सघळा धर्मो दया भने सत्यना मजबूत पायापर स्थापित थइ धक्यता कायम थाओ-ए अमारी त्रीर्जी भावना छे. जूदा जूदा धर्मानुयायिओमां अरसपरस देखातो धर्म द्वेष दूर थाओ, भ्राव भाष स्थापित थाओ, सलाह संप कायम रहो, अने दुर्गुणो दूर थइ सद्गुणोनो संचार थाओ-ए अमारी चोधी भावना छे. ४ दुनियाभरमा आलस्यनो नाश थाओ, उद्यमनी वृद्धि थाओ, विद्यानो विकाश थाओ, सत्यनो प्रकाश थाओ, अने ए रीते धर्मनो जय थाओ-ए अमारी पांचमी भावना छे. भविष्यनी प्रजा आपणा करतां आगळ वधो, आपणा करतां क्षु ज्ञान मेळबो, आपणा करतां वधु शोधन करो, किं बहुना, आपणा करतां वळ-बुद्धि, विद्या-कळा, विज्ञान-वैभव, सुख संपत्ति, रंग-रुप, हॉस-हिम्मत वगेरे तमाम रुडी वावतोमा आगळ आगळ वधीने आपणां करतां वधु आयुष्य भोगवो,अने आपणां मूकलां अधुरां कायो परिपूर्ण करोPage Navigation
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