Book Title: Anekant 1940 01 Author(s): Jugalkishor Mukhtar Publisher: Veer Seva Mandir Trust View full book textPage 1
________________ वर्ष ३, किरण ३ पौष, वीर नि० सं०२४६६ अनेकान्त वार्षिक मूल्य ३) जनवरी १९४० श्रीबाहुबली स्वामी इस कामदेवोपम सवाङ्ग सुन्दर बलिष्ठ पुरुषने निदारुण कायक्लेशमें वर्षके वर्ष बिता डाले। लोग देखकर हा हा खाते थे और निस्तब्ध रह जाते थे। उसकी स्पृहणीय काया मिट्टी बनी जा रही थी । स्त्रियाँ उस निनिमीलित नेत्र, मग्न-मौन, शिलाकी भांति खड़े हुए पुरुष-पुंगवके चरणोंको धो-धोकर वह पानी अाँखों लगाती थीं। उसके चरणोंके पासकी मिट्टी औषधि समझी जाती थी। पर वह सब श्रोरसे विलग, अनपेक्ष, बन्द-आँख बन्द-मुख, मलिन देह, कृश-गात, तपस्यामें लीन था। _जैनेन्द्र TECTROLOLORD OPLOADITORIEOFODROPIONORMOOHINOOROSONIOXONTONTERCORROROFOONICTIGEGENORE सम्पादक संचालकजुगलकिशोर मुख्तार तनसुखराय जैन अधिष्ठाता वीर-सेवामन्दिर सरमावा (सहारनपुर) कनॉट सकस पो० बो० नं०४८ न्यू देहली। ROMOKISHORTONSIDDROIDALEGAOSINORGALTHOKOND DISTIGORMONTROHGDEIOENOONDO पाटन नीर राकापसयोध्या 2 गोयलीय NeKOIRO GIONACHOOLPage Navigation
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