Book Title: Amardeep Part 01
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Aatm Gyanpith

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Page 264
________________ आत्मविद्या से कर्म विमुक्ति २३६ प्राचीनकाल में शिशु को बाल्यकाल से ही आत्मविद्या का सिंचन मिलता था। मदालसा का आख्यान इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। मदालसा अपने बालकों को बचपन में पालने में झुलाती हुई उन्हें आत्मा की अनन्त शक्तियों का बोध कराती थी। वह गाती थी शुद्धो (सिद्धो)ऽसि बुद्धोऽसि निरंजनोऽसि । संसार - माया -. परिवजितोऽसि । संसार-स्वप्न त्यज मोहनिद्राम् । मदालसा पुत्रमुवाच वाक्यम् ॥ मदालसा अपने पुत्र को इस प्रकार कहती थी-हे वत्स ! तू शुद्ध है, कषायों तथा राग-द्वेष-मोहादि के विकारों से रहित निर्मल आत्मा है। अथवा तू सिद्ध है, तेरे में अनन्त ज्ञान, दर्शन, सुख और वीर्य की सिद्धियाँ हैं, तु बुद्ध है-जागृत है, प्रकर्ष प्रज्ञा तेरे में हैं। तू निरंजन है, तुझे कोई भी व्यक्ति वासना के रंग में रंग नहीं सकता। तू मुक्त है—अर्थात्-संसार परिभ्रमण कराने वाली माया-कर्म प्रकृति से तू रहित है, तुझे बाँधने वाली कोई भी शक्ति संसार में नहीं है। संसार एक स्वप्न है, इसमें क्षणिक सुखाभास को सुख मत मान । इसके मोह में मत फंस । मोहनिद्रा को छोड़। ___ इस प्रकार जिस शिशु को पालने में ही ऐसा मुक्ति गीत-आत्मसंगीत सुनने को मिले, वह युवावस्था में तेजस्वी, त्यागी और प्रतापी क्यों नहीं हो सकता ? आत्मा की अनन्त शक्तियों को जिसने जान लिया, जिसने उन्हें मन में केन्द्रित कर लिया, उन पर अपना प्रभुत्व जमा लिया, वह शिशु युवावस्था आते ही सांसारिक प्रपंचों से विरक्त और आत्मभाव में रत क्यों नहीं होगा ? यही हुआ। सती मदालसा ने अपने सातों पुत्रों को ऐसी आत्मविद्या दी, जिससे वे बाल्यावस्था में ही विरक्त और त्यागी बन गए। परन्तु आज बचपन से ही माता-पिता की ओर से आत्मविद्या नहीं, शरीर की विद्या सिखाई जाती है, शरीर की रक्षा के लिए कैसे धन, धान्य, मकान आदि प्राप्त करने आदि की प्रायः शिक्षा-विद्या मिलती है। धन और वैभव की चकाचौंध में मनुष्य अपनी सन्तान को आत्म-विद्या से बहुत दूर रखता है, शुद्ध धर्म और नीति के तथा धर्ममय संस्कृति के विचार उसमें आएँ तो कैसे आएँ ? वर्तमान युग में इसी आत्मविद्या के अभाव में देश के नौनिहालों का भरण-पोषण विलासिता के वातावरण में होता है, इस कारण वह पुरुषार्थहीन, निर्वीर्य, डरपोक और कायर बनाता है। विद्या मन्दिरों में भी संयम,

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