Book Title: Amardeep Part 01
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Aatm Gyanpith

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Page 276
________________ पाप सांप से भी खतरनाक २५१ इसी गाँव का एक व्यक्ति उस समय शौच के लिए गन्ने के खेत की ओर गया । जब वह शौच के लिए बैठा तो गन्ने के पत्तों की खड़खड़ाहट तथा इन दोनों भाइयों की आगन्तुकों की हत्या करने की बातचीत सुनी । उसके मन में राम जागा । वह तुरन्त ही दौड़कर उन दोनों भाइयों के घर के बरामदे में सोये हुए दोनों आगन्तुक किसानों को जगाया और कहा–'चलो, मेरे साथ, आपको यहाँ नहीं सोना है।' सौभाग्य से वे दोनों सहसा जाग गये और झटपट अपने कपड़े पहनकर उस भाई के साथ चल दिये । उसने अपने घर की बैठक में उन्हें सुला दिया, सारी बात भी समझा दी। इन दोनों आगन्तुकों के जाने के थोड़ी देर बाद ही उन दोनों जाट भाइयों के दो लड़के, जो सिनेमा देखने मेरठ गए हुए थे, लौटकर आए, अपने कमीज खूटी पर टांगे और आगन्तुकों के लिए बिछाए हुए दोनों बिछोनों पर यह समझकर सो गए कि हमारी माताओं ने हमारे लिए ही ये बिछाये होंगे। - इधर कुछ ही देर बाद दोनों जाटभाई गड्ढा खोद चुके तो उन्होंने अपनी पत्नियों को संकेत किया। बस, दोनों महिलाओं ने अपने-अपने हाथ में छुरी ली और सोये हुए उन दोनों अपने बच्चों की गर्दन पर फिरा दी। दोनों ही थोड़ी देर में शान्त हो गए। दोनों के कमीज की जेब टटोली तो उनमें सिर्फ डेढ़ रुपये मिले । दोनों को आश्चर्य और दुःख तो हुआ, किन्तु उस समय कुछ बोली नहीं। दोनों जाट भाइयों ने उन दोनों बच्चों की लाशें उठाकर गड्: में डाल दीं। ऊपर से मिट्टी डालकर गडड़े को पाट दिया। सुबह हुआ । दोनों जाटभाई कुए के पास होकर गुजरे और उन्होंने उन दोनों आगन्तुकों को कुएं पर हाथ-मुह धोते हुए देखा तो हक्के-बक्के रह गए। उलटे पैरों घर लौटे । अपनी पत्नियों से पूछा कि तुमने किनको पारा था ? वे दोनों तो जिंदा है, अभी हम देखकर आए हैं। आखिर पता लगा कि वे दोनों उनके ही लड़के थे, जिन्हें उनको माताओं ने अपने ही हाथों मौत के घाट उतार दिया। गड्ढा पुनः खोदकर देखा तो अब पश्चात्ताप का पार न रहा । इधर गाँव भर में उनकी इस करतूत का पता लोगों को लग गया। पुलिस भी सूचना पाकर आ धमकी । दोनों पापियों को गिरफ्तार करके जेल में ठूस दिया । अपने किये पाप का फल उन्हें हाथोंहाथ मिल गया। पाप के विचार मात्र से दूर रहो बन्धुओ ! पाप का विचार भी घोर अशुभ कर्मबन्धक होता है, फिर

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