Book Title: Amar Kshanikaye
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sugal and Damani Chennai

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Page 50
________________ Jain Education International पुरूषार्थ जीवन सेज नहीं सुमनों की, सो जाओ खर्राटे मार | जीवन है संग्राम निरंतर, प्रतिपद कष्टों की भरमार ।। कहीं बिछे मिलते हैं काँटें, कहीं बिछे मिलते हैं फूल । जीवन-पथ में दोनों का ही स्वागत, दोनों ही अनुकूल ।। जीवन- नौका का नाविक है, एक मात्र पुरूषार्थ महान् । सुख-दुख की उत्ताल तरंगें, - कर न सके उसको हैरान || gode 41 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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