Book Title: Amar Kshanikaye
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sugal and Damani Chennai

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Page 54
________________ दीक्षा दीक्षा असत् से सत् की ओर तमस् से आलोक की ओर मृत्यु से अमरत्व की ओर अग्रसर होने वाली एक अखण्ड ज्योतिर्मय जीवन यात्रा ! दीक्षा बाहर से अन्दर में सिमट आने की एक अद्भुत आध्यात्मिक साधना है, अन्दर से बाहर फैलने की एक सामाजिक कमनीय कला भी है ! आध्यात्मिक और सामाजिकता का सुन्दर समन्वय है इस पथ पर ! दीक्षा अशुभ का बहिष्कार है, शुभ का संस्कार है, शुद्धत्व का स्वीकार है ! 'स्व' की 'स्व' से 'स्व' को सहज स्वीकृति ही तो दीक्षा है ! 45 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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