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भौतिक वैभव दिया, दिया फिर,
अक्षय आध्यात्मिक वैभव । अभय दान का परम देव तू,
भूलेंगे न तुझे भव-भव ।। कर्म क्षेत्र के धन्य वीर थे,
जो पहले आगे आते हैं । पीछे तो लाखों अनुयायी,
बिना बुलाये आ जाते हैं ।। कल क्या थे, यह नहीं सोचना,
सोचो अभी बनोगे क्या ? ले अतीत से उचित प्रेरणा,
निज भवितव्य घड़ोगे क्या ? संकल्पों से उठता मानव,
और उन्हीं से गिरता है। अच्छे और बुरे भावों का,
जग में मेला भरता है । कैसी भी स्थिति आये-जाये,
भाव नहीं गिरने देना । शुभ की ज्योति बड़ी है जग में,
इसे नहीं बुझने देना ।। अच्छा होगा, सब-कुछ अच्छा,
अच्छा है यदि अर्तमन । शुभ मन पर आधारित वाणी
कर्मों का सब अच्छापन ।।
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