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उपसंहार
[ ८११ मानकर अलङ्कार की उससे भिन्न सत्ता सिद्ध कराना चाहते थे । फलतः उन्होंने स्वभावोक्ति आदि को अलङ्कार-क्षेत्र से अलग कर अलङ्कार की संख्या को सीमित करने का आयास किया; फिर भी अलङ्कारशास्त्र में वास्तव, औपम्य, अतिशय, शृङ्खला आदि मूल तत्त्वों पर आधृत सभी अलङ्कार स्वीकृति पाते रहे हैं ।
* हिन्दी के रीतिकालीन आचार्यों ने अधिकतर संस्कृत के आचार्यों की अलङ्कार-विषयक मान्यता को ही स्वीकार किया है। अधिकांश आचार्यों के अलङ्कार - निरूपण का उपजीव्य जयदेव का 'चन्द्रालोक' तथा अप्पय्य दीक्षित का 'कुवलयानन्द' रहा है। कुछ आचार्यों ने मम्मट, रुय्यक तथा विश्वनाथ की पद्धति का भी अनुसरण किया है ।
* हिन्दी - रीति- साहित्य में दशाधिक नवीन अलङ्कारों को भी कल्पना की गयी है । उन अलङ्कारों में से कुछ तो केवल नाम्ना नवीन हैं। उनके स्वरूप संस्कृत आचार्यों के अन्य नामधेय अलङ्कारों से अभिन्न हैं । ऐसे अलङ्कारों को स्वतन्त्र अलङ्कार नहीं मानकर तत्तत् प्राचीन अलङ्कारों में अन्तर्भुक्त माना जा सकता है। कुछ अलङ्कार - परिभाषाओं का असफल अनुकरण होने से भी हिन्दी में उनके स्वरूप कुछ नवीन हो गये हैं । चिन्तन का अभाव होने के कारण ऐसे अलङ्कारों की कल्पना का श्र ेय हिन्दी - आचार्यों को नहीं दिया जा सकता । कुछ नवीन अलङ्कारों के स्वरूप की उद्भावना हिन्दी के आलङ्कारिकों ने अवश्य की है। अमित आदि के स्वरूप की कल्पना स्वतन्त्र चिन्तन की प्रवृत्ति का परिचायक है । हिन्दी की तुकान्त कविता की प्रवृत्ति को दृष्टि में रखकर अन्त्यानुप्रास का विशद विवेचन किया गया है । हिन्दी के विपुल अलङ्कार - साहित्य को देखते हुए ऐसी उद्भावनाएँ नगण्य ही जान पड़ती हैं । इसका मुख्य कारण यह है कि संस्कृत- अलङ्कार-शास्त्र में अलङ्कार विषयक इतने ऊहापोह हो चुके थे कि उस क्षेत्र में नवीन उद्भावना का बहुत कम अवकाश था | हिन्दी - आलङ्कारिकों की मौलिकता मुख्यतः स्वरचित पदों का उदाहरण देने में ही है ।
* कुछ समीक्षकों ने भाविकच्छवि तथा संग्रामोद्दामहुँकरा को हिन्दी आलङ्कारिकों की उद्भावना मान लिया है; किन्तु तथ्य यह है कि ये दोनों अलङ्कार जयदेव के 'चन्द्रालोक' से लिये गये हैं । जयदेव ने भाविकच्छवि अलङ्कार को जिस रूप में परिभाषित किया था उसी रूप में भूषण आदि ने भी उसे परिभाषित किया है । सङ्ग्रामोद्दामहुङ कृति को जयदेव ने स्वतन्त्र अलङ्कार माना था या दृष्टान्त के ही स्वरूप के स्पष्टीकरण के लिए उसका