Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohasya Part 04 Author(s): Manikyasagarsuri Publisher: Mithabhai Kalyanchandji Pedhi View full book textPage 7
________________ पृष्ठम् पक्तिः अशुदम् शुद्धम् पृष्ठम् पक्तिः अशुद्धम् शुद्धम् प्रावना० श्रयते दामाक्ष० प्रार्थना श्रूयते 69 17 7. 9 72 3 74 10 77 16 838 108 9 दामोक्ष ऋजुत्व० भगवद्भ्य भकूट केवलि० परंन क्वा० महाशो० नुभावः तत्तत्त देशस्था गुर्च पमीयते किञ्चि० तद्वदत्रापि वगाहनाः दुःखपूर्णः 106 12 तत्त० देस्था 107 14 जुध्व० पमयते , 14 किश्च० 109 तदत्रापि 111 2 वहंगाना: 114 2 दुःखापूर्णः .., 13 फट्टेइ सायदि 120 1 वैचित्र्यं 121 3 मेक० 123 . 3. थायया०१२४ ऽस्थानं ___, 12 मनेन तक्त्व्याः 125 5 नपव० भगवयभ्य भकुट० केवल० परं क्वा মাহী नुभवः ईन्तः वोनन या जायते धराणा सव रस्मिन्त साधास्वादादि वैचित्र्य वोऽनेन यत् .98 99 8 1 न जायते धराण मेग० यथा या० ऽवस्थान भलेन तत्त्व्याः ऽव० 200 सर्व 104 5 105 13 रस्मिन्ने | P.P.AC.GunratnasuriM.S.. Jun Gun Aaradhak TrustPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 193