Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohasya Part 04 Author(s): Manikyasagarsuri Publisher: Mithabhai Kalyanchandji Pedhi View full book textPage 6
________________ पुष्ठम् पक्तिः अशुद्वम् शुद्धम् पृष्ठम् पक्तिः अशुद्धम् शुद्धम् 33 9 46 कृति वर्याम् व्यरचं माय करो 34 36 37 27 4 3 . कृतिचेर्याम् व्यवरचं आय. करोः पर सूरीजातस्त० दारिका स्तुषोरेण सत्पुरु१० परो 47 11 48 4 नामोक्तेव मिथ्या जम्ब्वा० ना दडी० वैचित्र्यं सवृत्त - बद्धानां सुरीजाता त० दारिकाः स्तुषारेण 49 4 41 ', કર 5 16 2 सत्पुरुषै० वृन्दं नामाक्तो मिथ्या० जम्बा० . ना . दननी० वैचव्यं सद्वत्त० बद्वानां श्रतेः ज्ञानं, नियना कुरुयु भिदितम् सार्वश्य० तावतो पकारि० सवेषा० 50 17 7 वृन्द पटना तत्क्थं पङ्कित पक्ति० तत्कथं शिष्टा হিg . शिष्टो० , 15 शिष्ट समाहरः 17 , शुद्धये. 5 रुकतो ज्ञान नियमा० त्कुरुटयु भिरितम् सार्वश्या० तावता 'पकार० सर्वेषा० 65 25 // 6 // समादरः शुद्धये उक्तो० P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TrustPage Navigation
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