Book Title: Agamanusar Muhpatti Ka Nirnay
Author(s): Manisagar
Publisher: Kota Jain Shwetambar Sangh

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Page 83
________________ .८१ - 'नाहिर उद्घोषणा ने० ३. १०७. देखिये खास सूत्रकार महाराजने वस्त्र पात्रकंबल की तरह दंडा संस्थारा आदि भी उपकरण बतलाये हैं, इसलिये उपरकेपाठकी आज्ञा पालन करने वाले सब साधुओं को वस्त्र पात्र कंबल की तरह दंडाभी रखना उचित है । जिसपरभी ढूंढिये लोग कंबल तथा दंडा रखने का निषेध करने वाले प्रत्यक्ष ही सूत्र विरुद्ध होकर उत्सूत्र प्ररूपणा करके जिनामा की विराधना करते हैं। १०८. यदि ढूंढिये कहें कि जिस प्रकार दँडा हमेशा साथमे रखतेहो उसी प्रकार पाट, पाटले, संस्थारा आदि सब उपकरणभी साथमें क्यों नहीं रखते । इस बातके उपर मेरे को इतनाही कहनाहै कि संयम धर्म की रक्षाके लिये साधुके उपकरण बहुत तरहके होते हैं, जिसमेसे रजोहरण, मुंहपत्ति, कंबल व दंडा आदि कितनेक उपकरण हर समय काममें आनेवाले होनेसे हमेशासाथमें रखे जातेहैं । और गुच्छा पादपुंछनक, संस्थारा, पुस्तक, पाट, पाटले आदि कितनेक उपकरण हर समय काममें नहीं आते किंतु किसी समय काममें आते हैं, वह हमेशा साथमें नहीं रक्ने जाते, परन्तु ठहरनेकी जगह पर पड़े रहते हैं । जैसे साधु आहार-पानीके लिये गृहस्थों के घरों में जावे तब पाट पाटले पुस्तक वगैरह साथमें नहीं लेजाता तोभी वह उपकरण साधुके कहे जातेहैं । इसलिये दंडाकी तरह पाट पाटले संस्थारा आदि सब उपकरण हमेशा साथमें ले जानेकी कुयुक्ति करना या हमेशा दंडा साथमे रखने का निषेध करना सूत्रविरुद्ध होनेसे सर्वथा अनुचितहै। १०९. यदि हूंढिये कहें कि उपरमें बंतलाये हुए भगवती सूत्रके पाठ में स्थविर साधुको दंडा रखने की आज्ञादीहै परंतु सबके लियेनहीं, यह भी अनसमझकी बातहै क्योंकि देखो-जिसतरह उत्तराध्ययन सूत्रमें श्रीवीरभगवानने गौतमस्वामीको समय मात्रभी प्रमाद नहीं करनेका उपदेश दिया है वैसेही सर्व साधुओंके लियेभी प्रमाद त्याग करनेका समझ लियाजाताहै। इसी तरहसे साधुओंके समुदायमें स्थविर साधु बड़े होते हैं इसलिये स्थविरका नाम ग्रहण कियाहै, उसीके अनुसार सर्व साधुओंके लियेभी दंडा रखनेका समझलेना चाहिये और स्थविर को देनेके लिये लायेहुए उपकरण दूसरे साधुओंको देनेकी मनाईकी, उसका तात्पर्य यहीहै कि स्थविरको देनका कहकर स्थविरके बदले दूसरे साधुको देवे तो देने वालेको मिथ्याभाषण, लेनेवालेको अदत्तादान .

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