Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ श्रीमत्सूत्रकृताङ्गम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 3 ] [ 256 // अथ द्वितीयं द्विस्थानकाख्यमध्ययनम् // जदत्थि (जहित्थं) णं लोगे तं सबंदुपयोग्रारं (दुपडीयारं) तंजहाजीवच्चेव अजीवच्चेव / तसे चेव थावरे चेव 1, सजोणियच्चेव अजोणियच्चेव 2, साउयच्चेव अणाउयच्चेव 3, सइंदियच्चेव, अणिदिए चेव 4, मवेयगा चेव अवेयगा चेव 5, सरूवि चेव अरूवि चेव 6, सपोग्गला चेव योग्गला चेव 7, संसारसमावन्नगा चेव असंसारसमावन्नगा चेव 8, सासया चेव असासया चेव 1, // सू० 57 // श्रागासा चेव नोया. गासा चेव / धम्मे चेव अधम्मे चेत् // सू० 58 // बंधे चेव मोक्खे चेव 1 पुन्ने चेत्र पावे चेव 2 पासवे चेव संवरे चे 3 वेयणा चेव निजरा चेव 4 // सू० 56 // दो किरियायो पनत्तायो, तंजहा—जीवकिरिया चेव यजीवकिरिया चेव (चिय) 1, जीवकिरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहामम्मत्तकिरिया चेव, मिच्छत्तकिरिया चेव 2, अजीवकिरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-इरियावहिया चेव संपराइगा व 3, दो किरियायो पन्नत्तायो तंजहा—काइया चेव अहिगरणिया चेव 4, काइया किरिया दुविहा पन्नत्ता तंजहा–अणुवरयकायकिरिया चेव, दुप्पउत्तकायकिरिया चेव 5, अहिकरणिया किरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा–संजोयणाधिकरणिया चेव णिञ्चत्तणाधिकरणिया चेव 6, दो किरियायो पन्नत्तायो तंजहा-- पाउसिया चेव पारियावणिया चेव 7, पाउसिया किरिया दुविहा पन्नत्तायो तंजहा--जीवपाउसिया चेव अजीवपाउसिया चेव 8, पारियावणिया किरिया दुविहा पन्नत्ता तंजहा--सहत्थपारियावणिया चेव परहत्थपारियावणिया चेव 1, दो किरियायो पत्नत्ता तंजहा-पाणातिवायकिरिया चेव अपञ्चक्खाणकिरिया चेव 10, पाणातिवायकिरिया दुविहा पन्नत्ता तंजहासहत्थपाणातिवायकिरिया चेव परहत्थपाणातिवायकिरिया चेव 11, अप

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 210