Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 12
________________ श्रीमत्सूत्रकृताङ्गम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 4 ] [ 261 पन्नत्ता तंजहा- कोहे चेव माणे चेव 36, ॥सू. 60 // दुविहा गरिहा पन्नत्ता तंजहा-मणमा वेगे (मणसावेगे) गरहति / वयसा वेगे गरहति / ग्रहवा गरहा दुविहा पनत्ता तंजहा-दीहं वेगे पद्धं गरहति, रहस्सं वेगे श्रद्धं गरहति ॥सू० 61 // दुविहे पञ्चवखाणे पन्नते तंजहा-मणसा वेगे पञ्चक्खाति वयसा वेगे पचवखाति. ग्रहवा पञ्चवखाणे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-दीहं वेगे श्रद्धं पञ्चक्खाति रहस्सं वेगे श्रद्धं पञ्चक्खाति ।।सू० 62 // दोहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे यणादीयं अणवयग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं वीतिवतेजा, तंजहाविजाए चेव चरणेण चेव ॥सू. 63 // दो ठाणाई अपरियाणित्ता पाया णो केवलिपनत्तं धम्मं लभेज सवणयाए, तंजहा-यारंभे चेव परिग्गह चेव 1, दो गणाई अपरियादित्ता याया णो केवलं बोधिं बुज्झेजा जहा-यारंभे व परिग्गहे चेव 2, दो ठाणाई अपरियाइत्ता बाया नो केवलं मुडे भवित्ता प्रागारायो अणगारियं पवइजा तंजहा-यारंभे चेव परिग्गहे चेर 3, एवं णो केवलं बंभचेरवासमावसेन्जा 4, णो केवलेणं संजमेणं संजमेजा 5, नो केवलेणं संवरेणं संवरेजा 6, नो केवलमाभिणिबाहियणाणं उप्पाडेजा 7, एवं सुयनाणं 8 अोहिनाणं 1 मणपजवनाणं 10 केवलनाणं 11 ॥सू० 64 // दो ठाणाइं परियादित्ता पाया केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज सवणयाए, तंजहा-थारंभे वेव परिग्गहे चेव, एवं जाव केवलनाणमुप्पाडेजा ॥सू० 65 // दोहिं ठाणेहिं पाया केवलिपन्नतं धम्मं लभेज सवणयाए तंजहामोच्च च्चेव अभिसमेच व्चेव जार केवलनाणं उप्पाडेजा ॥सू० ६६॥दो समायो पन्नत्तायो, तंजहा-योसप्पिणी समा चेव उस्सप्पिणी समा चेव ।।सू० 67 // दुविहे उम्मार पन्नताए तंजहा-जवखावसे चेव मोहणिजस्स चेव कम्मस्स उदएणं, तत्थ णं जे से जवखावेसे से णं सुहवेयतराए चेव सुहविमोयतराए वेव, तत्थ णं जे से मोहणिजस्स कम्मस्स उदएणं से णं दुहवेयतराए चेव दुहविमोययराए चेव ॥सू. 68 // दो दंडा पनत्ता तंजहा-अट्ठादंडे

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