Book Title: Agam 44 Chulika 01 Nandi Sutra Shwetambar
Author(s): Sudharmaswami, Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
| अणेगविहं पण्णत्तं, तंजहा उत्तरञ्झयणाई दसाओ कप्पो ववहारो निसीह महानिसीह इसिभासिआई जंबूदीवपन्नत्ती दीवसागरपन्नत्ती
खुड्डिआविमाणपविभत्ती महल्लिआविमाणपविभत्ती अंगचूलिआ वग्गचूलिया विवाहचूलिया अरूणोववाए वरुणोववाए गरुलोववाए धरणोववाए वेसमणोववाए वेलंधरोववाए देविंदोववाए उट्ठाणसुए समुट्ठाणसुए नागपरिआवणियाओ निरयावलियाओ कप्पियाओ कप्पवडिसियाओ पुष्फचूलियाओ वण्हीदसाओ, एवमाइयाई चउरासीई पइन्गसहस्साई भगवओ अरहओ उसहसामिस्स आइत्थियरस तहा संखिज्जाई पइन्नगसहस्साई मन्झिमगाणं जिणवरणं चोइस पइन्नगसहस्साणि भगवओ वद्धमाणसामिस्स, अहवा जस्स जत्तिया सीसा उप्पत्तियाए वेणइयाए कम्मयाए पारिणामियाए चविहाए बुद्धीए उववेया तस्स तत्तियाई पडण्णगसहस्साई, पत्तेयबुद्धावि तत्तिया चेव, सेतं कालियं, सेत्तं आवस्सयवइरितं, से तं अणंगपविटुं ।४। से किं तं अंगपविढं?, २ दुवालसविहं पण्णत्तं, तंजहा आयारो सूयगडो ठाणंसमवाओ विवाहपन्नत्ती नायाधम्मकहाओ उवासगदसाओ अंतगडदसाओ अणुत्तरोववाइअदसाओ पण्हावागरणाई विवागसुअं दिहिवाओ ४५। से किं तं आयारे?, २ णं समणाणं निग्गंथाणं आयारगोअरविणयवेणइयसिक्खाभासाचरणकरणजायामायावित्तीओ आघविजंति०, से समासओ पंचविहे पण्णते, तंजहानाणायारे दंसणायारे चरित्तायारे तवायारे वीरियाआरे, आयारेणं परित्ता वायणा संखेज्जा अणुओगदारा संखिजा वेढा संखेज्जा सिलोगा संखिज्जाओ निजुत्तीओ संखिजाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगठ्ठयाए पढमे अंगे दो सुअक्खंधा पणुवीसं अन्झयणा पंचासीई उद्देसणकाला पंचासीई समुद्देसणकाला ॥ श्रीनन्दीसूत्र।
५. सागरजी म. संसोषित

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44