Book Title: Agam 44 Chulika 01 Nandi Sutra Shwetambar
Author(s): Sudharmaswami, Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 34
________________ | ससमयसत्तपरिवाडीए इच्चेइयाई बावीसं सुत्ताई अच्छिन्नच्छेअनइयाणि आजीवियसुत्तपरिवाडीए इच्चेयाई बावीस सुत्ताई || तिगणइयाणि तेरासियसुत्तपरिवाडीए इच्चेइयाई बावीसं सुत्ताई चउछनइयाणि ससमयसुत्तपरिवाडीए, एवामेव सपुव्वावरेणं अट्ठासीई सुत्ताई भवंतीतिमक्क्खायं, से तं सुत्ताई, से किं तं पुव्वगए?, २ चहसविहे पण्णत्ते, तंजहाउपायपुवं अग्गाणीयं वीरियं अस्थिनत्थिप्पवायं नाणप्पवायं सच्चपवायं आयप्पवायं कम्मप्पवायं पच्चक्खाणप्पवायं विजणुप्पवायं अवंझं पाणाऊ | किरिआविसालं लोकबिंदुसार, उपायपुव्वस्स णं दस वत्थू चत्तारि चूलियावत्थू पनत्ता, अग्गेणीयपुव्वस्स णं चोइस वत्थू दुवालस चूलिआवत्थू पण्णत्ता, वीरियपुव्वस्स णं अट्ठ वत्थू अट्ठ चूलिआवत्थू पण्णत्ता, अस्थिनत्थिप्पवायपुव्वस्स णं अट्ठारस वत्थू दस | चूलिआवत्थू पण्णता, नाणप्पवायपुवस्स णं बारस वत्यू पण्णता, सच्चप्पवायपुवस्स णं दोण्णि वत्थू पण्णत्ता, आयप्पवायपुवस्स णं सोलस वत्थू पण्णता, कम्मप्पवायपुव्वस्स णं तीसं वत्थू पण्णता, पच्चक्खाणपुवस्स णं वीसं वत्थू पन्नत्ता, विजाणुष्पवायपुवस्स णं पन्नरस वत्थू पण्णत्ता, अवंझपुवस्स णं बारस वत्थू पनत्ता, पाणाउपुव्वस्स णं तेरस पत्थू पण्णत्ता, किरिआविसालपुवस्स णं तीसं वत्थू पण्णत्ता, लोकबिंदुसारपुव्वस्स णं पणुवीसं वत्थू पण्णत्ता दस चोदस अट्ठ (य) द्वारसेव बारस दुवे य वत्थूणिो सोलस तीसा वीसा पन्नरस अणुप्पवायमि ॥८२॥ बारस इक्कारसमे बारसमे तेरसेव वत्थूणि तीसा पुण तेरसमे चोइसमे पण्णवीसाओ ॥३॥ चत्तारि दुवालस अट्ट चेव दस चेव चुलवत्थूणिोआइल्लाण चउण्हं सेसाणं चूलिआ | ॥ श्रीनन्दीसूत्र ॥ २६ पू. सागरजी म. संशोधित

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