Book Title: Agam 44 Chulika 01 Nandi Sutra Shwetambar
Author(s): Sudharmaswami, Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 35
________________ नत्थि ॥८४॥ से तं पुव्वगए, से किं तं अणुओगे?, २ दुविहे पण्णत्ते, तंजहा मूलपढमाणुओगे य गंडिआणुओगे य, से किं तं मूलपढमाणुओगे?, २ णं अरहंताणं भगवंताणं पुव्वभवा देवलोगगमणाई आउं चवणाई जम्मणाणि अभिसेआ रायवर सिरीओ | पव्वज्जाओ तवा य उग्गा केवलनाणुप्पयाओ तित्थपवत्तणाणि य सीसा गणा गणहरा अज्जा य पवत्तिणीओ संघस्स चउव्विहस्स जं च परिमाणं जिणमणपज्जव ओहिनाणी सम्मत्तसुयनाणिओ य वाई अणुत्तरगई य उत्तरवेउव्विणो य मुणिणो जत्तिआ सिद्धा सिद्धिपहो जहा य देसिओ जच्चिरं चुचे कालं पाओवगया जे जहिं जनिआई भत्ताई छेड़त्ता अंतगडे मुणिवरुत्तमे तमरओघविप्यमुक्के मुक्खसुहमणुत्तरं च पत्ते, एवमन्त्रे य एवमाहभावा मूलपढमाणुओगे कहिआ, सेत्तं मूलपढमाणुओगे, से किं तं गंडियाणुओगे?, २ कुलगरगंडियाओ तित्थयर गंडियाओ चक्कवडिंगडियाओ, दसार० बलदेव० वासुदेव० गणधर० भद्दबाहु० तवोकम्म० हरिवंस ० उस्सप्पिणी० ओसप्पिणी • चित्तंतर गंडियाओं अमर नर तिरियनिरयगइगमणविविह परियदृणेस एवमाझ्याओ गंडियाओ आघविज्जंति, से तं गंडियाणुओगे, से तं अणुओगे, से किं तं चूलियाओ?, २ चउण्हं पुव्वाणं चूलिया, सेसाई पुव्वाई अचूलियाई, से तं चूलियाओ, | दिडिवायस्स णं परिता वायणा संखेज्जा ० संखेज्जाओ संग्रहणीओ, से णं अंगडयाए वारसमे अंगे एगे सुयक्खंधे चोइस पुष्वाई संखेज्जा वत्थू संखेज्जा चूलवत्थू संखेज्जा पाहुडा संखेज्जा पाहुडपाहुडा संखेज्जाओ, पाहुडियाओ संखेज्जाओ पाहुडपाहुडियाओ | संखेज्जानं पयसहस्साइं पयग्गेणं संखेज्जा अक्खरा अणंता गमा अनंता पज्जवा • उवदंसिज्जंति से एवं आया० एवं आघविज्जंति०, ॥ श्रीनन्दीसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित २७

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