Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 9
________________ *XXXXXXXXXXX पोतानी पापनिदो गोलार राजाने देई स्वर्गे पहुतो एक गोली चेलणाने दोधी ते माहिसुआमला प्रमाण मोतीनो हार अहारे सरो नीकल्यी एहवे * समे श्वेणक बीउर सहित भगवतने वंदना करो पाछा बलता चेलणाई शीतकाले एक साधु ध्यान करतो देखी आपण घरें आवी रात्रे व आवासे * सुतो एहवो वचन कह्यो किम करता हुसो ते वचन सुणो श्रेणिकनामनमे संदेह उपनी ए अंतेउर खोटो एहवी वीचार करौ अभय कुमारने * जाल वानो आदेश देई राजा भगवत पासे गयो भगवत वोल्या चेडानी सातेपुत्रौ सती के एवचन सुणी उतावलसुंपाछा वल्या वलतानगरमै धूम देखी अभयकुमारने कह्यो जारे भंडा एवचन अभयकुमार सुणि पिताने कह्यो तुमारो वचन थो हुँ मुख थी कई तुजा तिवारे तु दीक्षा लौजे एवचन तुमारा मुख छो नोकल्यो छ तिवारे पोतानो आज्ञाई अभयकुमार दीक्षा लौधी हिवे कोणीक दुरदंत हुवो लघु भाई हल्लने १ विहल२ वौजीमाता१. * कालिप्रमुख कोणिक सर्व ने कहो राजा श्रेणकने काष्ठ पिंजरे घालौ राजा ११ भागे वहि वल्यो छत्रचामर पोताने अने सिचाणकहाथी अने हारहन ४ विहलने श्रोणिक पाप्योहतो ते हिज राजा श्रेणिकने नित्य नाडो५.. मराव अने भात पाणीनारोध राणी चेलणा दोपहरा कलसीयो१ पाणीनो ले जाय चोटो मदिराये खरड़ो ते धोई पावे अने उडदनो रोटी करी ले जायते आहार करे आपणाकर्मादिक भोगवे राणी कहे प्री पुत्र जीवाड़ौत्रीसुख * दे त्यो राजा क हे काई गहिलो धई भावो पदार्थ किहा रहे एकदा प्रस्ताव कोणिक जोमवा वेठो छ पासे पूत्र वैठो छ तिणे थाली माहि जीमती : लष नोतकरो पिण कोणके संकानाणीमाने क हे माने पुत्र किसीवाल्हो के जेमेलिगाररौस नहीकरौ तिवारे समा जाणौ चेलणा वाली पुत्र मातापिताने * बल्लभ हुइ पिण पुत्रनेहनाणे तौवारे पूर्वलो वात चेलणा कोणिक आपरा पुत्र आगे कही ताहरौ चौटौ आंगुलौनो लोही ते सारे नाहरे पितारे उदरमे गयो के एतला. मात्र न जाणे पिण कुल जाणे तुती पीतानी भक्ति रूडौ करे के ए भक्त घणादिन कहावस्ये एहवो वचन साभली वैर गयो नेह राय धनपत सिंह बाहादुर का प्रा० सं० उ. ४१ मा भाग

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