Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 10
________________ उ.भाषा: प्रगव्यो तुरत उठी लोहार तेडाबौ तिवारे पागल थी उपरांतीइ बात कहे पकने मारवा भणी घश लेइ पावे के बौजौवार पावती साभलो राजा पिके तालपुट नामा विषतालवेदीयो त्वारे तुरत मरण पांम्यो काणौक आवौ बीताव पिण बोले नही यत: प्रतिष्टि विना सुखं धन विना गैहं च भार्या विना विप्रा वेद विना यतौ गुणविना राजा च सैन्यं विना शूरः शस्त्र विना स्त्रियः पति विना पूजा विना देवता एतमर्व न शोभते किमपरं देहं जीवं विना १ मनस्यूं अत्यन्त दुख ऊपनी रोईवालागी घर मांहि रह्यो मुहावे नहीं रायने वियोग चम्मामूको पृष्टचम्पावसावौ तिहां रही सकल साधवा लागी एकदा प्रस्तावे पद्मावती राणौ कोणिकने कहिवा लागी तुंहि राज्यनो धणी पिणहारने हाथी राज्यनो सारता भाई भाग के अने तुम तेहने चाकरौ करी राजा कहे भाई के राणो कहे हाथौमांगीतिवार जाणस्यूं जे एकही के तेखरू तिवारी तेहने कयो तुकाई जाणे तो पिण इम स्त्रोये कान मेरोया हारहाथी मागवानो मनकराव्या कोणिके भाई पासे हारने हाथीमांग्या तिवारी भाई कहिवा लागो हारने हाथौ किम दिवरा विवे तुम राज्य भाग्य मापोतो हारहाधो पापौये इम माहोमांहि चड़ भद्या माणसे सभा मांहि थी उठाद्या काणिक कह्यो जे देश माहि रहो तो हार हाथी मोकल देज्यो एहवु' सांभलो कोणिकने भय करी आपण अंतेउर लेइ नाना पामे विशाला नगरौये पहता प्रभात खबर थई जनासगया कोणक कहे एहवो कुण के जेम्हारा वैरीने राखे एहवे खबर थई जे चेडा राजा कन्हे विसालाये गया तिणवैला कोणौक राजा कालिकुमार आदिदेई १० भाई * है ३३ हजार घोडा ३३ हजार हाथो ३३ हजार रथ ३३ कोडि पायक सहित आवौ विशाला नगरी वौटौ तिवारे चेडो माहाराजा १८ राजा ५७ सहस्र घोड़ा ५७ हजार हाधौ ५७ सहस्र रब ५७ कोड़ि पायकसहित साम्हों पायो पिणचेडे महाराजने एहवौ प्रतिज्ञादिहाडे २ एकवाणमूकै तिण वाले करौ जे अग्रे सरो सेनानी हुइ तेहने जोपे १० दिहाडे कोणिकना कालि प्राददेई दसे बंधव विणास्था तेहवे कोणौक चमरेन्द्र पाराध्यो इन्द्र राय धनपतसिंह बाहादुर का मा० सा.उ.४१ मा भाग

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