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उ.भाषा
* पण बेकुमरने महावेदनाउपजावी आनंद कर शरीर शितल करौ नांख्यो अनुक्रमे राजाभोजनने अवसर मंदिरमा आवौ कुमरने तेडावें कुमर आवे तो
भोजन कोज तिवारे कुमरना पास वानसेवक कहे महाराज कुमरने महा वेदना के राजा कहे वेदना नो उपाय करी तिवारें जिम जिम उपाय करें तिम तिम वेदना अधिक पाए वलो कुमरनासेवक कहें महाराज इहां साध आव्या इता तिणें बेइकुमरने माहकम मारदीधी रजो हरण संघातें
तिवारें राजा वचन सांभलो कई के साध उपगारो साध उपगार कस्खो हसे एह वोनिहचे हवें कुमरने महा वेदना मरणांत कष्ट मरण भली * पनवेदना नखमाये तिवारी साधुन पूच्यो स्वामौए हनें समाधि कि मथाए तिवारें साधु कहे भेलें कुमर दौख्याले तो समाधि थाए तिवारे माता पिता कहे दोक्षा लेतां वेदन जाए घणो भलो तिवारें कुमरने पूछे तुम दिक्षा लेशो तेसरी रेसाता थाए ति चारित्र ले बाउ जमाल थया
तिवार साध आपणो विद्या अपहपरी सरौरे साता थाई तिवारे तेंहने माता पिताई घणो महोत्सवे दीक्षा लोधी साधुनो आचार सूत्र सौहान्त * भणवी देस नादेवा समर्थ थया अनुक्रमे गुरनो आन्ना लेइ विहार करे रुडेवे राज्यपूत्र चारोच पाले अमात्य पुत्र मनमातिवेज मुझने बलात्
कारे दौशादोधो परं चारित्रपालो देव गते गया अस्मिन् एहवा समयनें विशे कोशांबी नगरी मां तापस श्रेष्ट मरणपामी पोताने घर शुकर थयो तिवार तेहने जाति स्मरण ऊपनी सर्व पोताना सुतादौ कुटंब प्रमुख समस्तने जाणे पण बोलो सके नही अन्यदातस्य सुतते हमें शकरो इणिस शकर पोता नाघरमांसप उपज्यो ते सर्यने जाति स्मरण उपनी तौणतें सर्पने हस्थी तिवारते सर्प नीयो निथको पुवनें घर पुत्र उपच्चा ते बाल कनें पिण जाति स्मरण उपनी तिवारे बालक मनमे चिंतवे आता माहरा पूबनी स्त्री एहने माता किमकह पामाहरी पुत्र तेहनें पिता किम कई इमाणी ते बालक बोले नहो माता पिता जाण्यो आ बालक गुंगोछे इम करता ते बाल कमोटो थयो मोन पण रहें मननीयात कोई जाये
राब धनपतसिंह बाहादुर का आ. सं. २०४१ मा भाग