Book Title: Agam 36 Vavaharo Taiyam Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ [११६] चरियानियट्टे भिक्खू जाव चउरायाओ पंचरायाओ थेरे पासेज्जा सच्चेव आलोयणा सच्चेव पडिक्कमणा सच्चेव ओग्गहस्स पुव्वाणुण्णवणा चिट्ठइ अहालंदमवि ओग्गहे । [११७] चरियानियट्टे भिक्खू परं चउरायाओ पंचरायाओ थेरे पासेज्जा पुणो आलोएज्जा पुणो पडिक्कमेज्जा पुणो छेय- परिहारस्स उवट्ठाएज्जा भिक्खुभावस्स अट्ठाए दोच्चं पि ओग्गहे अणुण्णवेयव्वे सिया कप्पड़ से एवं वदित्तए - अणुजाणह भंते ! मिओग्गहं अहालंदं धुवं नितियं वेउट्टियं उद्देसो-४ तओ पच्छा कायसंफासं । [११८] दो साहम्मिया एगयओ विहरंति तं जहा- सेहे य राइणिए य, तत्थ सेहतराए पलिच्छिन्ने राइणिए अपलिच्छिन्ने, सेहतराएणं राइणिए उवसंपज्जियव्वे, भिक्खोववायं च दलयइ कप्पागं । [११९] दो साहम्मिया एगयओ विहरंति तं जहा- सेहे य राइणिए य, तत्थ राइणिए पलिच्छिन्ने सेहतराए अपलिच्छिन्ने इच्छा राइणिए सेहतरागं उवसंपज्जइ इच्छा नो उवसंपज्जइ इच्छा भिक्खोववायं दलयइ कप्पागं, इच्छा नो दलयइ कप्पागं । [१२०] दो भिक्खुणो एगयओ विहरंति नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं अनुवसंपज्जित विहरित्तए, कप्पड़ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । [१२१] दो गणावच्छेइया एगयओ विहरंति नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं अनुवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पइ ण्हं आहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । [१२२] दो आयरिय-उवज्झाया एगयओ विहरंति नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं अनुवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पड़ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । [१२३] बहवे भिक्खुणो एगयओ विहरंति नो ण्हं कप्पड़ अन्नमन्नं अनुवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पड़ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । [१२४] बहवे गणावच्छेइया एगयओ विहरंति नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं अनु वसपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पइ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । [१२५] बहवे आयरिय-उवज्झाया एगयओ विहरंति नो ण्हं कप्पड़ अन्नमन्नं अनुव संपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पड़ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । [१२६] बहवे भिक्खुणो बहवे गणावच्छेइया बहवे आयरिय उवज्झाया एगयओ विहरंति नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं अनु वसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पइ ण्हं अहाराइणिया अन्न उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । • चउत्थो उद्देसो समत्तो • • पंचमो - उद्देसो • [१२७] नो कप्पइ पवत्तिणीए अप्पबिइयाए हेमंतगिम्हासु चारए । [१२८] कप्पइ पवत्तिणीए अप्पतइयाए हेमंतगिम्हासु चारए । [१२९] नो कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पतइयाए हेमंतगिम्हासु चारए । [१३०] कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पचउत्थाए हेमंतगिम्हासु चारए । [दीपरत्नसागर संशोधितः] Jain Education International [14] For Private & Personal Use Only [३६-ववहारो] www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30