Book Title: Agam 36 Vavaharo Taiyam Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 13
________________ • चउत्थो-उद्देसो . [९५] नो कप्पइ आयरिय-उवज्झायस्स एगाणियस्स हेमंतगिम्हासु चरित्तए । [९६] कप्पड़ आयरिय-उवज्झायस्स अप्पबिइयस्स हेमंतगिम्हासु चरित्तए | उद्देसो-४ [९७] नो कप्पड़ गणावच्छेइयस्स अप्पबिइयस्स हेमंतगिम्हासु चरित्तए | [९८] कप्पड़ गणावच्छेइयस्स अप्पतइयस्स हेमंतगिम्हासु चरित्तए | [९९] नो कप्पइ आयरिय-उवज्झायस्स अप्पबिइयस्स वासावासं वत्थए । [१००] कप्पड़ आयरिय-उवज्झायस्स अप्पतइयस्स वासावासं वत्थए । [१०१] नो कप्पड़ गणावच्छेइयस्स अप्पतइयस्स वासावासं वत्थए । [१०२] कप्पड़ गणावच्छेइयस्स अप्पचउत्थस्स वासावासं वत्थए । [१०३] से गामंसि वा नगरंसि वा निगमंसि वा रायहाणीए वा खेडंसि वा कब्बडंसि वा मडंबंसि वा पट्टणंसि वा दोणमुहंसि वा आसमंसि वा संवाहंसि वा सन्निवेसंसि वा बहूणं आयरिय उवज्झायाणं अप्पबियाणं बहूणं गणावच्छेइयाणं अप्पतइयाणं कप्पइ हेमंतगिम्हासु चरित्तए अन्नमन्ननिस्साए । [१०४] से गामंसि वा नगरंसि वा निगमंसि वा रायहाणीए वा खेडंसि वा कब्बडंसि वा मडंबंसि वा पट्टणंसि वा दोणमुहंसि वा आसमंसि वा संवाहंसि वा सन्निवेसंसि वा बहूणं आयरियउव . ज्झायाणं अप्पतइयाणं बहुणं गणावच्छेइयाणं अप्पचउत्थाणं कप्पइ वासावासं वत्थए अन्नमन्ननिस्साए | [१०५] गामाणुगामं दूइज्जमाणे भिक्खू य जं पुरओ कट्ट विहरइ से य आहच्च वीसंभेज्जा अत्थि या इत्थ अन्ने केइ उवसंपज्जणारिहे कप्पड़ से उवसंपज्जियव्वे सिया, नत्थि या इत्थ अन्ने केइ उवसंपज्जणारिहे अप्पणो य से कप्पाए असमत्ते एवं से कप्पड़ एगराइयाए पडिमाणे जपणं-जण्णं दिसं अन्ने साहम्मिया विहरंति तण्णं-तण्णं दिसं उवलित्तए, नो से कप्पड़ तत्थ विहारवत्तियं वत्थए, कप्पड़ से तत्थ कारणवत्तियं वत्थए, तंसि च णं कारणंसि निद्वियंसि परो वएज्जा वसाहि अज्जो एगरायं वा यं वा, एवं से कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए, नो से कप्पइ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वत्थए जं तत्थ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वसइ से संतरा छेए वा परिहारे वा । [१०६] वासावासं पज्जोसविए भिक्खू जं पुरओ कट्ट विहरइ से य आहच्च वीसंभेज्जा अत्थियाइं तत्थ अन्ने केइ उवसंपज्जणारिहे कप्पड़ से उवसंपज्जियव्वे नत्थि या इत्थ अन्ने केइ उवसंपज्जणारिहे अप्पणो य से कप्पाए असमत्ते एवं से कप्पइ एगराइयाए पडिमाए जण्णं-जण्णं दिसं अन्ने साहम्मिया विहरंति तण्णं-तण्णं दिसं उवलित्तए, नो से कप्पड़ तत्थ विहारवत्तियं वत्थए, कप्पड़ से तत्थ कारणवत्तियं वत्थए, तंसि च णं कारणंसि निट्ठियंसि परो वएज्जा - वसाहि अज्जो एगरायं वा दुरायं वा एवं से कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए, नो से कप्पइ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वत्थए जं तत्थ परं एगरायाओ वा दरायाओ वा वसई से संतरा छए वा परिहारे वा । ___ [१०७] आयरिय-उवज्झाए गिलायमाणे अन्नयरं वएज्जा अज्जो! ममंसि णं कालगयंसि समाणंसि अयं समुक्कसियव्वे, से य समुक्कसणारिहे समुक्कसियव्वे, से य नो समुक्कसणारिहे नो समुक्कसियव्वे, अत्थि या इत्थ अन्ने केइ समुक्कसणारिहे से समुक्कसियव्वे, नत्थि या इत्थ अन्ने केइ [दीपरत्नसागर संशोधितः] [12] [३६-ववहारो] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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