Book Title: Agam 36 Vavaharo Taiyam Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 25
________________ [२२८] सागारियस्स सोत्तियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता तम्हा दावए, नो से कप्पड़ पडिगाहेत्तए । [२२९] सागारियस्स बोडियसाला साहारणवक्कयपउत्ता तम्हा दावए, नो से कप्पड़ पडिगाहेत्तए । [२३०] सागारियस्स बोडियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता तम्हा दावए, नो से कप्पड़ पडिगाहेत्तए । [२३१] सागारियस्स गंधियसाला साहारणवक्कयपउत्ता तम्हा दावए, नो से कप्पड़ पडिगाहेत्तए । । [२३२] सागारियस्स गंधियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता तम्हा दावए, एवं से कप्पड़ पडिगाहेत्तए | [एवं सागारियस्स सोडियसाला० दो आलावगा ।] [२३३] सागारियस्स ओसहीओ संथडाओ तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए | [२३४] सागारियस्स ओसहीओ असंथडाओ तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए | [२३५] सागारियस्स अंबफला संथडा तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए | [२३६] सागारियस्स अंबफला असंथडा तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए | [२३७] सत्तसत्तमिया णं भिक्खुपडिमा एगणपन्नाए राइदिएहिं एगेणं छन्नउएणं भिक्खासएणं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्म काएणं फासिया पालिया सोहिया तीरिया उद्देसो-९ किट्टिया आणाए अन्पालिया भवइ । ____ [२३८] अट्ठअट्टमिया णं भिक्खुपडिमा चउसट्ठीए राइदिएहिं दोहि य अट्ठासीएहिं भिक्खासएहिं अहासत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्च सम्मं काएण फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अनुपालिया भवइ । [२३९] नवनवमिया णं भिक्खुपडिमा एगासीएहिं राइदिएहिं चउहिं य पंचुत्तरेहि भिक्खासएहिं अहासुत्तं अहाकप्पं जाव अनुपालिया भवइ । [२४०] दसदसमिया णं भिक्खुपडिमा एगेणं राइंदियसएणं अद्धछडेहि य भिक्खासएहिं अहासुत्तं अहाकप्पं जाव आणाए अन्पालिया भवइ । [२४१] दो पडिमाओ पन्नत्ताओ तं जहा-खुडिया चेव मोयपडिमा, महल्लिया चेव मोयपडिमा । [२४२] खुड्डियाण्णं मोयपडिम पडिवन्नस्स अणगारस्स कप्पड़ से पढमसरदकालसमयंसि वा चरिमनिदाहकालसमयंसि वा बहिया गामस्स वा जाव सन्निवेसस्स वा वनंसि वा वनविदुग्गंसि वा पव्वयंसि वा पव्वयविदुग्गंसि वा, भोच्चा आरुभइ चोद्दसमेणं पारेइ अभोच्चा आरुभइ सोलसमेणं पारेइ जाए मोए आईयव्वे दिया आगच्छइ आईयव्वे, राइं आगच्छइ नो आईयव्वे, सपाणे मत्ते आगच्छड़ नो आईयव्वे, अप्पाणे मत्ते आगच्छड़ आईयव्वे, एवं सबीए आगच्छड़ नो आईयव्वे अबीए आगच्छड़ आईयव्वे, ससणिद्धे आगच्छइ नो आईयव्वे अससणिद्धे आगच्छड़ आईयव्वे, ससरक्खे आगच्छइ नो [दीपरत्नसागर संशोधितः] [24] [३६-ववहारो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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