Book Title: Agam 36 Vavaharo Taiyam Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 29
________________ [२६२] चत्तारि अंतेवासी पन्नत्ता तं जहा-पव्वावणंतेवासी नाममेगे नो उवट्ठावणंतेवासी, उवद्वावणंतेवासी नाममेगे नो पव्वावणंतेवासी, एगे पव्वावणंतेवासी वि उवद्वावणंतेवासी वि, एगे नो पव्वावणंतेवासी नो उवट्ठावणंतेवासी- धम्मंतेवासी । [२६३] चत्तारि अंतेवासी पन्नत्ता तं जहा-उद्देसणंतेवासी नाममेगे नो वायणंतेवासी, वायणंतेवासी नाममेगे नो उद्देसणंतेवासी, एगे उद्देसणंतेवासी वि वायणंतेवासी वि, एगे नो उद्देसणंतेवासी नो वायणंतेवासी- धम्मंतेवासी । [२६४] तओ थेरभूमीओ तं जहा-जातिथेरे सुयथेरे परियायथेरे, सद्विवासजाए समणे निग्गंथे जातिथेरे, ठाणसमवायधरे समणे निग्गंथे सुयथेरे, वीसवासपरियाए समणे निग्गंथे परियायथेरे । [२६५] तओ सेहभूमीओ पन्नत्ताओ तं जहा- जहन्ना मज्झिमा उक्कोसा, सत्तराइंदिया जहन्ना, चाउम्मासिया मज्झिमा, छम्मासिया उक्कोसा | [२६६] नो कप्पड़ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा खुड्डगं वा खुडियं वा ऊणट्ठवासजायं उवद्ववेत्तए वा संभंजित्तए वा | [२६७] कप्पइ निग्गंथाणं वा निग्गंथीणं वा खुड्डगं वा खुड्डियं वा साइरेगट्ठवासजायं उवट्ठावेत्तए वा संभुजित्तए वा | [२६८] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीणं वा खुड्डगस्स वा खुड्डियाए वा अवंजणजायस्स आयारपकप्पं नामं अज्झयणं उद्दिसित्तए | [२६९] कप्पड़ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा खुड्डगस्स वा खुड्डियाए वा वंजणजायस्स आयारपकप्पं नामं अज्झयणं उद्दिसित्तए । [२७०] तिवासपरियायस्स समणस्स० कप्पइ आयारपकप्पं नामं अज्झयणं उद्दिसित्तए | [२७१] चउवासपरियायस्स समणस्स० कप्पइ सूयगडे नामं अंगे उद्दिसित्तए । [२७२] पंचवासपरियायस्स समणस्स० कप्पइ दसाकप्पववहारे उद्दिसित्तए | [२७३] अट्ठवासपरियायस्स समणस्स० कप्पइ ठाण-समवाए नामं अंगे उद्दिसित्तए | उद्देसो-१० [२७४] दसवासपरियायस्स समणस्स० कप्पड़ वियाहे नामं अंगे उद्दिसित्तए । [२७५] एक्कारसवासपरियायस्स समणस्स० कप्पइ खुडिया विमाणपविभत्ती, महल्लिया विमाणपविभत्ती, अंगचूलिया, वग्गचूलिया, वियाहचूलिया नामं अज्झयणे उद्दिसित्तए | [२७६] बारसवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ अरुणोववाए, वरुणोववाए, गरुलोववाए, धरणोववाए, वेसमणोववाए, वेलंधरोववाए नामं अज्झयणे उद्दिसित्तए । __ [२७७] तेरसवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पड़ उट्ठाणसुए, समुट्ठाणसुए, देविंदोववाए नागपरियावणिए नाम अज्झयणे उद्दिसित्तए । [२७८] चोद्दसवासपरियायस्स समणस्स० कप्पइ सुविणभावणा अज्झयणं उद्दिसित्तए | [२७९] पन्नरसवासपरियायस्स समणस्स० कप्पड़ चारणभावणा अज्झयणं उद्दिसित्तए | [२८०] सोलससवासपरियायस्स समणस्स० कप्पड़ तेयनिसग्गं अज्झयणं उद्दिसित्तए | [२८१] सत्तरसवासपरियायस्स समणस्स० कप्पड़ आसीविसभावणा अज्झयणं उद्दिसित्तए। [२८२] अट्ठारसवासपरियायस्स समणस्स० कप्पइ दिट्ठीविसभावणा अज्झयणं उद्दिसित्तए। [दीपरत्नसागर संशोधितः] [28] [३६-ववहारो] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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