Book Title: Agam 36 Vavaharo Taiyam Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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[१३१] नो कप्पड़ पवत्तिणीए अप्पतइयाए वासावासं वत्थए | [१३२] कप्पइ पवत्तिणीए अप्पचउत्थाए वासावासं वत्थए |
[१३३] नो कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पचउत्थाए वासावासं वत्थए । [१३४] कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पपंचमाए वासावासं वत्थए ।
[१३५] से गामंसि वा जाव सन्निवेसंसि वा बहूणं पवत्तिणीणं अप्पतइयाणं बहूणं गणावच्छे
उद्देसो-५
इणीणं अप्पचउत्थाणं कप्पइ हेमंतगिम्हासु चारए अन्नमन्नं नीसाए ।
[१३६] से गामंसि वा जाव सन्निवेसंसि वा बहूणं पवत्तिणीणं अप्पचउत्थीणं बहूणं गणावच्छेइणीणं अप्पपंचमीणं कप्पड़ वासावासं वत्थए अन्नमन्नं नीसाए ।
[१३७] गामाणुगामं दूइज्जमाणी निग्गंथी य जं पुरओ काउं विहरड़ सा आहच्च वीसंभेज्जा अत्थ या इत्थ काइ अन्ना उवसंपज्जणारिहा सा उवसंपज्जियव्वा, नत्थि या इत्थ काइ अन्ना उवसंपज्जणारिहा तीसे य अप्पणो कप्पाए असमत्ते कप्पड़ से एगराइयाए पडिमाए जण्णं-जण्णं दिसं अन्नाओ साहम्मिणीओ विहरंति तण्णं-तण्णं दिसं उवलित्तए, नो से कप्पड़ तत्थ विहारवत्तियं वत्थए, कप्पड़ से तत्थ कारणवत्तियं वत्थए, तंसि च णं कारणंसि निट्ठियंसि परा वएज्जा वसाहि अज्जे एगरायं वा दुरायं वा एवं से कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए नो से कप्पड़ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वत्थए जं तत्थ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वसई से संतरा छेए वा परिहारे वा ।
[१३८] वासावासं पज्जोसविया निग्गंथी य जं पुरओ काउं विहरइ सा आहच्च वीसंभेज्जा अत्थि या इंत्थ काइ अन्ना उवसंपज्जणारिहा सा उवसंपज्जियव्वा, नत्थि या इंत्थ काइ अन्ना उवसंपज्जणारिहा तीसे य अप्पणो कप्पाए असमत्ते कप्पड़ से एगराइयाए पडिमाए जण्णं-जण्णं दिसं अन्नाओ साहम्मिणीओ विहरंति तण्णं-तण्णं दिसं उवलित्तए, नो से कप्पड़ तत्थ विहारवत्तियं वत्थए, कप्पड़ से तत्थ कारणवत्तियं वत्थए, तंसि च णं कारणंसि निट्ठियंसि परा वएज्जा- वसाहि अज्जे एगरायं वा दुरायं वा एवं से कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए नो से कप्पड़ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वत्थए जं तत्थ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वसई से संतरा छेए वा परिहारे वा ।
[१३९] पवत्तिणी य गिलायमाणी अन्नयरं वएज्जा मए णं अज्जे कालगयाए समाणीए इयं समुक्कसियव्वा, सा य समुक्कसणारिहा समुक्कसियव्वा, सा य नो समुक्कसणारिहा नो समुक्कसियव्वा, अत्थि या इत्थ अन्ना काइ समुक्कसणारिहा सा समुक्कसियव्वा नत्थि या इत्थ अन्ना काइ समुक्कसणारिहा सा चेव समुक्कसियव्वा, ताए व णं समुक्किट्ठाए परा वएज्जा दुस्समुक्किट्ठे ते अज्जे निक्खिवाहि, तीसे णं निक्खिवमाणीए नत्थि केइ छेए वा परिहारे वा, जाओ तं साहम्मीणीओ अहाकप्पेणं नो उट्ठाए विहरंति सव्वासि तासिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा ।
[१४०] पवत्तिणीय ओहायमाणी एगयरं वएज्जा- मए णं अज्जे ओहावियाए समाणीए इयं समुक्कसियव्वा सा य समुक्कसणारिहा समुक्कसियव्वा, सा य नो समुक्कसणारिहा नो समुक्कसियव्वा अत्थि या इत्थ अन्ना काइ समुक्कसणारिहा सा समुक्कसियव्वा नत्थि या इत्थ अन्ना काइ समुक्कसणारिहा सा चेव समुक्कसियव्वा ताए व णं समुक्किट्ठाए परा वएज्जा- दुस्समुक्किट्ठे ते अज्जे
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[३६-ववहारो]
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