Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 04
Author(s): Bhadrabahuswami, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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प्रासंगिक नीवेदन ।
आपसमा घणी वार मळती रहे छे । आम छतां त्रीजा विभागना "प्रासङ्गिक निवेदन"मां जणाव्या प्रमाणे पाठभेदना विषयमा एक वीजा वर्गनी प्रतिओ केटलीये वार सेळभेळ थइ जाय छे, जे टिप्पणमां आपेला समविषम पाठभेदो उपरथी जोइ शकाशे ।
पाठभेदनी वावतमां वधारे तरीके अमारे अहीं एटलं ज उमेरवानुं छे के-पहेला त्रण विभाग करतां आ विभागमां एटले के वीजा जीजा उद्देशामां पाठभेदो बहुज ओछा प्रमाणमां आव्या छे अने ए पाठभेदो पण मुख्यत्वे करीने भा० प्रति अने कां० प्रतिना ज छे।
प्रस्तुत विभागमा अने आ पछीना विभागोमां आपेला सूत्रोना संख्यादर्शक अंको, प्रकृतोनां नाम अने तेनो विभाग वगेरेना संबंधमां अमारे जे कांइं कहेवानुं छे ते अमे छेल्ला विभागमा स्पष्ट रीते जणावीशुं ।
अंतमां अमे एटलुंज निवेदन करीए छीए के अमारा प्रस्तुत संशोधन वगेरेमां स्खलना नजरे आवे तो विशेषज्ञ विद्वानो क्षमा करे ।
निवेदक-गुरु-शिष्य मुनि चतुरविजय-पुण्यविजय
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