Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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अंग्रेजी अनुवाद सहित सचित्र आगम प्रकाशन के इस महनीय कार्य का शुभारम्भ पूज्य प्रातः स्मरणीय गुरुदेव भण्डारी श्री पद्मचन्द् जी म. सा. की प्रेरणा व प्रोत्साहन से उनकी विद्यमानता में ही प्रारम्भ किया गया था और आज उनके आशीर्वाद का ही यह सुपरिणाम है कि हम निरन्तर अपनी योजना में प्रगति करते हुए २४ आगमों का सम्पादन-प्रकाशन कर चुके हैं। मुझे विश्वास है उन्हीं की कृपा से यह कार्य अपनी सम्पन्नता को भी प्राप्त करेगा। मेरे शिष्य विद्यारसिक सेवा भावी श्री वरुण मुनि जी भी पूर्ण समर्पित भाव से मेरे साथ जुटे हैं। अन्य विद्वानों व सहयोगी गुरुभक्तों का भी पूर्ण समर्पण भाव हमारा सम्बल बना है। इस प्रकार सबके सहकार-सहयोग से मैं इस कार्य को आगे बढ़ा रहा हूँ और आशा करता हूँ पूज्य गुरुदेवों की कृपा-आशीर्वाद से यह आगे बढ़ता ही रहेगा। ___ मैं सभी आगम स्वाध्यायी सज्जनों से अनुरोध करता हूँ कि वे इन प्रकाशित आगमों का स्वाध्याय हेतु यतनापूर्वक उपयोग कर श्रुतज्ञान की अभिवृद्धि तथा प्रभावना करते रहें . . . . धन्यवाद ! जैन स्थानक,
-अमर मुनि लुधियाना।
(प्रवर्तक)
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