Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Chandapannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 230
________________ यणिय कुमारत्त - दंडपति १६।३,११,१७११७, ६३, १०१:१६।१,२०१८, १२,२१,२३,२४,२७,३५,२११५५,६१,७०,६०; २२१२३,३०,३६,७३,६८,२४१५२८२७,६८, ११६, २६७, १६, ३०१७,१७,३११२३३११, २०,२७,३१,३५:३४।२, ३५।१८ ; ३६।५, २४, थूम ( स्तूप ) प १११२५ ज २३१५, २०, ३१; ४१२५,१२६ ३७,७२ थणियकुमारत (स्तनितकुमारत्व ) प १५ ६५, १४१६ थेज्ज ( स्थैर्य) उ ३११२८ थवईरयण ( स्थपतिरत्न ) ज ३१३२११ थाल ( स्थाल ) प ११।२५ ज २११५; ३३११; ५।५५ थालइ ( स्थालकिन् ) उ ३।५० यारुकिणिया (थारुकिनिका ) ज ३।११।१ थालीपाक ( स्थालीपाक) सु २०१७ थालीपाग ( स्थालीपाक) ज २।३० थावरणाम (स्थावरनामन् ) प २३३८,११७ थासग ( स्थासक ) ज ३३१०६,१७८७३१७८ free (दे० ) प १५११२ faबुग (स्तिक ) प १५३२६,२१।२४ थिर (स्थिर) ज ७।१२४, १२५, १७८ थिरणाम ( स्थिरतान् ) प २३।३८,१२२ थिरीकरण ( स्थिरीकरण ) प १०१०१३१४ थिल्ली (दे०) २३३ थी (स्त्री) प १८४ थीद्धि (स्थान) प २३|१४, २७ थीविलोयण (त्रविलोचन ) ज ७।१२३ से १२५ थुर (दे० ) प १४२२ थू (स्थूणा ) १५१ ।२.१५।५२ ३६।२२,२५ द्ध ( स्तब्ध ) ज ३|१०६ सु २०२ थल (स्थल) प १६७५ ज २११३१,१३४:३।३२, ६६ थेरग ( स्थविरक) ज २११३३ उ ३।५५ थलय (स्थलज ) प ११४८१४० लय (स्थलक) ज ५।७ लयर ( स्थलचर ) प ११५४,६१,६२,६६ से ६८ ७६, ३१८३४।१२२ से १४८६७१,७८; २१८,११ से १६,३५,४४,५३,६० Jain Education International भियग्ग (स्तूपिकाग्र ) प २०६४ यूमिया ( स्तूपका ) प १११६,३७,४।१०,४६ थुभियाग (स्तुपिका ) प २२४८ ज ११३८ ४ १०, ११५,२१७,२२६ ४१ थेर ( स्थविर ) प १६।५१ सू २०६४ उ २११०, १२:३११४,१५६,१६१, १६७,५३६४१, ४३ थोव ( स्तोक ) प ३।१ से १७,२४ से १२०,१२२ से १८१,१८३ ६ १२३, ७ २, ३, ८५, ७, ६, ११; १२,१६.२५:१० १३ से ५, २६, २७,११७६, ६०,१५/१३,१६,२६,२८,३१,३३,३४,६४, १७/५६ से ५६,६१,६४,६६ से ६८, ७१ से ७४,७६,७८ से ८३,१४४ से १४६, २०१६४; २१।१०४, १०५, २२११०१, २८ ४१, ४४, ७०; ३४।२५ ३६ ३५ से ४१, ४८ से ५१, ८२ ज२४२, ६६ सु८१; २०१५ थोक्तराग ( स्तोकत रक ) प ३५३२ थोवूण ( स्तोकोन ) ज २०१५ व दओदर ( दकोदर) ज २१४३ दंड ( दण्ड ) प २१३०, ३१, ४१, ३६।८५ ज २६, ६० से ६२,३३,१२,८८, ११७, १७८, १६२; ४:२६,५।५,७,५८; ७ १७८ उ १।३१ दंडग ( दण्डक) १६।१२३, १९८३, ८५, १४१६,८, १०,१८,२०१५, २२१२०, २५, २८, ४५,५६,५८ ७६,२३१८, १२:२८।१४५, ३६८, १२, २०, २६ से ३१,३३,३४,४४,४५ दंडाग ( दण्डनायक ) ज ३१६,७७, २२२ दंडणी ( दण्डनीति) ज २१६० से ६२ : ३३ १६७/६ दंडदारु ( दण्डदारु) उ ३१५११ दंडपति ( दण्डपति) ज ३०१०६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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