Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Chandapannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 311
________________ १०२२ मेघ (मेघ) ज ३।२२४ मेघमालिनी (मेघमालिनी) ज ४१२३८ मेघस्सर ( मेघस्वर ) ज ५१५२ मेच्छ ( म्लेच्छ ) प २२६४।१७ मेच्छजाइ ( म्लेच्छजाति) ज ३१५१ मेढी (मेढी) उ ३।११ मेढीभूय (मेढीभूत) उ ३।११ मेत्त (मात्र ) प ११४८१६०, १३७४८४ १२११२, २४,३८,१५११०,२३, २११८४,८६,८७,६० से ६३;३३|१३,३६१४६,६६,७०,७४ ज २।१३४ उ ३८३,१२०,१२१, १२७,१२८, १६१; ४१२४; ५१२३ मेद ( मेदस् ) प २।२० से २७ मेधावि (मेधाविन् ) ५१५ मेय (मेद) १८६ मेरग (मँरेय) उ ११३४,४६,७४ मेर (मैरे ) प १७ १३४ मेरा ( मर्यादा) ज ३२६,३६,४७,७६,१३२,१३३, १३८,१५१,१८८ सू २०१६१४ मेराग ( मर्यादाक) ज ३११२८, १५१,१७०, १८५, २०६,२२१५।१० मेरु (मेरु ) ज ४ १२६०११ ७ ३२२१७१५५ ५ १; ७११६२२११०, ११,१६१२३ मेरुतालवण ( मेरुतालवन) जराह मेलिसिद (दे०) १७० मेसर (दे० ) प ११७९ मेह (मेघ) ज २११३१; ३७, ६३, १०६, १२५, १४७, १६३, ५/२२ से २४ उ २।११ मेहंकरा (मेकरा ) ज ४१२३७; ५।६।१ मेहकुमार ( मेघकुमार ) उ२११११, ११२ मेहमालिणी (मेघमालिनी) ज ५२६११ मेहमुह ( मेघमुख ) र १८६ ज ३।१११ से ११५ १२४ से १२६ मेहवई ( मेघवती ) ज ४१२३८; ५६ । १ मेहवण्ण ( मेघवर्ण ) उ५।२४, २६ Jain Education International मेघ-या मेहा (मेघा ) ज ३१३ मेहाणीय (मेघानीक) ज ३।११५, १२४, १२५ हावि (मंधाविन्) ज ३।१०६ २२१६, १७,८० हुण (मैथुन) मेहुणवतिय (नप्र) ज ७ १८५ १८।२३, २४:२०१६ मेहुणा (मैथुनसंज्ञा ) प ८११ से ५,७ से ६, ११ मोंढ] (दे०) १८६ 7 मोक्ख (मोक्ष) ज २४३१ मोगली (गोगली) एक जंगली पेड | १|४०|५ मोग्गर ( मुद्मर) ११३८ २९ २१४१ ज २।१० मोग्गलयण (मौद्गलान ) ज ७ । १३२ । १ TE सू १०३६२ मोति ( मौक्तिक ) ज ३१६७८ मोत्तिय ( मौक्तिक ) प ११४६ ज २०२४,६४,६६; ३३३५ मोद्दाल (दे० ) ज २८ मोयई (मोची) ११।३५।१ हिलमोचिका साग मोयग ( मोचक ) ज ५। २१ मोरगीवा ( मयूरग्रीवा ) प १७ १३४ मोसभाग (मृपाभाषक ) प ११६० मोसमण (मृपामनस् ) प १६११,७ मसणजोग (मृप:मनोयोग ) प ३६३८६ मोसवइजोग (मृषावाक्योग ) प ३६ ६० मोसा (मृपा) व ११ २ से १०२६ से २६,३२, ३४,४२,४३,४५,४६, ८२, ८४, ८५, ८७ से ८६ मोह (मोह ) प २३११९१ ज २।२३३ मोह (माहय् ) मोहति ज १ १३ मोहणिज्ज ( मोहनीय ) प २२२८२३११,१२, १७,३२,१२२; २४।१३,२६।१२; २७/६ मोहरिय (मौखरिक) ज ३११७८ य य (च ) प १।१० ज १३७ सू १७ उ ११७; ३१२१, ४२११५१२।१ या (च) उ३।२1१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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