Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Chandapannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 362
________________ ससिया सहस्सार ससिया (शिका) प ११।२३ सस ( दास्य ) ( १०।१२९०४ सस्तिरीय ( सश्रीक) व २२३०,३१,४१,४८,४६, ५६,६३,६४ ज ११३१ २२६४, ३६, ३५,११७, १८५.२०६, २२२, ४/२७, ४९, ५१२८,५८ १२४१, ४४ सह (गज़ ) प २३।१५६.१६०,१६४,१७५ २०५०, ११४; ४।१०६, २०५७।१३५४ उ ३३३८ V सह (सह ) महइ ज २२६७ सहगत (सहगत ) प २२११७ सहमय (सहगत ) प २२८० सहजायय ( सहजातक) उ३१३८ सहकीय (क) उ सहरिस ( सहर्ष ) ज ३१८१ सहयय (सबधितक) २३२३८ महसम्म (स्वयंस्मृति ) प १।१०१२ सहस (सहस्र ) प २१२१ से २७.३० से ३६,४०१५, ४१ से ४३,४६, ४६ से ५२, ५५ से ५७,५६, ५६१.३२६६,६४,४१,३,४,६,२५,२७,२८, ३०,२१,३३,३४, ३५, ३७, ३६, ४०, ४२,४३, ४५,४६,४८,४९,२१,१२,५४,५६,५८,६२,६४, ६५,६७,६१,७१,७९,०१,८५,८७,८८,२०,९४, १२५, १२७,१३४,१३६, १४३, १४५, १५२, १५४,१६५, १६७,१६८, १७०, १७४, १७६, १००,१६२,१०१, १०५६/४०; १२६; १८१२, ६,९,१२,१०.२०,२८,३२,२४,३५,४७,५०, ५२,८५ २०१६३,२१।३८,४१,४३,४५, ४७११, २:२१०६५,६७,८७६२३६० से ६२,६४,६६, ७८,०१,८४,१०.१११.१३२,१४७.१६७ से १६१,१७१ से १७२, १७५ से १७७,१०२ २८१२५.४०,४३,६६,७४ से ८७,६७३६६८, १११०११,१११६,१७,२०,२३,४६,४८ २४४१३,२४६,१६,५२,५६,६५,७१७७ से ८२, ८८१२६.१३०,१३४,१३८, १४०, १४९, १५४, १५१.१६१२।१४,१८,२२,२०,३१,३६,४२, Jain Education International २०७३ ५१.५१,६०,६८,१३,६९,१०६,११७.१२०, १२२,१२६।३:३०१३०,१३६.१४०, १४५, १४६,१६३.१७२, १७५, १०, १८५, १०६. १८८, १८१, २०१, २१०, २१४, २१५, २१९, २२१:२२४४।१,२७,३५,३७,४२,४५, ५२, ५५.५७,६२,६४,७१७७,८१,८६,८८,६०,६१, १४,६८.१०३,१०८, ११०,११४,११६.१५१३१. १६५,१६७, १६६,१७४, १७५, १८३,२००, २०५,२१३,२१५,२३४, २४०, २५७ से २५६, २६२५२८,३२,४३,४८,४९११,५०,५२३१. ५३,५५,५६,६३८ । १.१२ से २६,७११,७८ से २५,३१,३३,३४,५४,६७ से २४,१५,१६, १२७,१७०, १७८११२,१०३१५८१८१, २०७ ११४,२० से २२,२६,२७१२०१,२,३११३ ४३ से ५,१० ६१ ६१ १०२ १०११३५, १६४; १२२ से ७,६१८११,४,२०,२१,२६,२८, २६११।१।१,१२६४, ५१३,७,६१३,१०,१११, ३,४:१६ १४, १५२१,३,४,१९४१०.१६. १६२११२, ४, ५, ७, १६१२२२८,३२,१६३० उ १।१४, १५,२१,२२,२५,२६,१२१,१२६, १३२,१३३,१२६,१३७, १४०, १४७, ३७, ६१, ११०,१११.४।१६, १८:५११७,२७ सहस्रसक्छ ( सहस्राक्ष ) प २५० ज ६ सहगल (सहस्राशस् ) प १२०,२३,२६,२६, ४८ सहस्रप (सहस्रपत्र) १२४६ ३८६४१३ २२,२५,३०,३४.५।५५ सहस्त्रपतत्यय ( हस्तत्तसहस्रपत्र ) ज ३१० सहस्रपान ( सहस्रपाक ) ज ५११४ सहस्रस्ति (सहस्ररशिंग ) ३२४८, १०,५५,६३, ६७,७०,७१,१०६,११८ सहस्वस (सहस्रपत्र ) प १२४८४४ सहस्सार (सहस्रार ) प १।१३५२०४६,४७.५८ ५११६३३०३६१८३४२५२ से २५४ ६१३४, ५६, ६५, ८६,६२,१०६; १५८८ २०१५१, ६१:२१।७०, ११:२८१६२: ३४११६.१८ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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