Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Chandapannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 378
________________ सोमदंसण-हंभो १०८६ सोवस्थिय (सौवस्तिक) ज ४।२१०११,५३२ सू २०१८,२०१८६ सोवाण (सोपान) ज ३११६५,२०४ से २०६, २१४ से २१६:४१४,५,२६,२७,८६,११८, १२८,१४४,२४६:५१३०,४१,४२ सोस (शोष) ज २१४३ सोहंत (शोभमान) प २१ सोहग (सौभाग्य) प ३४१२० ज २१६५;३।१८६, सोमदंसण (सौम्यदर्शन) ज २१६८ सोमदेवया (सोमदेवता) सू१०१८३ सोमया (सोमता) ज ३३ सोमरूव (सौम्य रूप) उ ५२२ सोमा (सोमा) उ ३.१२६ से १३१,१३४ से १४४, १४७,१४८,१५० सोमाण (सोवान) ज ५१४१,४२,४४,४५ सोमिल (सोमिल) उ ३।२८ से ३२,३५ से ४५, ४७,४८,५० से ६५,६७ से ८३ सोय (श्रोतस) ज २११३४ सोय (शोक) उ ११२३,९१,९३ सोयमाण (शोचत) ७११६२ सोयविष्णाणावरण (अंत्रविज्ञानावरण) य २३।१३ सोयामणी (सौदामिनी) ज ३१३५ सोयावरण (श्रोत्रावर.पा) प २३११३ सोरिक (सौरिक) प ११६३।२ सोल (पोडश) प १०११४।४ से ६ ज ४.१४२ सोल (षोडशन् ) सू १९३१६ सोलस (पोडशन्) प २।२५ ज १७ मू १११४ उ ३३१२,१२६,५१० सोलसअंगुलजंघाक (पोडशांगुलजङ्घाक) ___ ज ३११०६ सोलसग (षोडशक) प २१२७११,२ सोलसम (घोडश) सू १२११७ मोलसमंडलचारि (पोडशमण्डलचारिन्) सू १३१५ सोलसविह (षोडशविध) प ११।८६,२३।३५ सोला (षोडशन्) सू १९१६ सोल्ल (दे० चक्य) उ ११३४,४०,४६,७४ सोल्लिय (दे० पक्व) उ ३१५० सोवक्कमाउय (सोगमायुष्क) १६११५,११६ सोचिय (सोपचित) ज २१७१ सोवच्छिय (सौवस्तिक) प ११५० मोवणिय (सौवणिक) ज ३११३५,२०६:४११३; सोहम्म (सौधर्म) प १११३५, २६४६ से ५२,५८, ६३,३।२६,१८३,४।२१३ से २२४;६।५६,६५, ८५,६५,१११:१०१२,३,१५१८७;२०१६१; २११६१,७०,६०,२८७५,३०।२६,३४११६, १८ ज ५।१८,२४,२५,४४ उ २।१२,२२, ३।६०,१२०,१५६,१६१:४१५,२४,२८,५१४१ सोहम्मकाप (सौधर्मकल्प) प६।२७ सोहम्मकल्पवइ (सौधर्मकल्पपति) ज ५।२६ सोहम्मकप्पवासि (सौधर्मकल्पवासिन) ज १९० ५।१६,२६,४३ सोहम्मग (सौधर्मज) प २१५०,५१,७८,१५१६, १०८,११२,१२५,२०।४६,३३११६,२४ ज १४६ सोहम्मगकप्पवासि (सौधर्मककल्पवासिन) ५ २१५० सोहम्मवडेंसय (सौधर्मावतंसक) प २१५६ सोहम्मव.सय (सौधर्मावतंसक) प २१५०,५४ ज ५१८ सोहा (शोभा) ज ३१६,२२२ सोहिय (शोभित) ज २२१२ हंत (हन्त) ज २२२४.२७,२६,३४ से ३७,४१,६४, ६६४१२७३,५४६८ से ७०७३६,३७,१०१ हंता (हन्त) ५ ११११,१५१४३:१७।१६६,२०११०, २२,२८३ उ ५५३२ हंदि (दे०) ज ३।२४।११,३१११,५।२७,७२,७३ हंभो (दे०) उ१।११५,११६, ३१५८,६०,३६,७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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