Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Chandapannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text ________________
१०१२
मस्सा ( मनुष्याक ) प २३११४७, १६२,१६५, मणोणुकूल (मनोनुकूल ) सु. २०१७ मणमा सय ( मनोमानसिक) उ ११९३ मणोरम ( मनोरम ) प ३४।१६,२१,२२
१७०
मणुस्सी ( मानुषी ) प ३१३६, १३०, १८३ १११२३; १७१४८, १६०२३।१६४,१६८,२०१ ज २२७ माणूस (मनुष्य) प ६८४,८७,१५१३५,४४,४५, ४७ मे ५० ८७,६१,९८, १०३ से १०६,११५, १२१ १२३, १२६,१३८ १६१८, १५.२५.२८; १७।२४, २५,३०,३३,३५,४७, ७०, ६७, १०४, १५७,१५० से १६३, १६६, १६७.१७०, १७२; १८२४,१०; २०१४, १३१८, २५, ३०, ३२.३५, ३६, ४८ २१११६, २०, ३६,५४,६०,६६,७२, ७७,८२,८६,२२१३१,४५, ७५, ७६८०,८३ से ८५,८८,६०,६६, १००, २३११०, १२,७६, १६६,२००, २४३,८,१०,१२,२५०४, ५, २६।३,४,६,८,१०,२७२,३२८१२,४६ से ५१,६७ से ६६,७१,१०३,११६ से १२१, १२४,१२८,१३०,१३६ से १३८,१४१ से १४३; २६।२२; ३०११४, २४, ३१ ४ ३२१४; ३३१,१३,२१,२६,३३,३६,३४०, ३५ १४, २१,३६१७, १०, ११,१३ से १५, १७,२६,३०, ३१,३३,३४,५८,७२,८०,८१ ज ४।१०२; ७/२० से २५,७६,८२ सू २१३ मणूसखेत्त ( मनुष्यक्षेत्र ) प २१६२, ६३ मणूसत्त (मनुष्यत्व ) प १५६८,१०४, ११०,११५, १२६,१३०:३६।२२,२६ ३०,३१,३३,३४ मणूसाजय (मनुयुष्क ) प २३।७१
मणूसी ( मनुष्यणी ) प २७१५८, १५६,१६१ से १६४१८।४,१० ; २०११३; २३।१६६,२०१ मणोगम (मनोगम) ज ७ १७८
मणोगय ( मनोगत) ज ३।२६,३६,४७, ५६, १२२, १२३,१३३, १४५, १८८५१२२ उ १।१५,५१, ५४,६५,७६,७६,६६,१०५, ३३२६,४८,५०, ५५,६८,१०६,११८,१३१,५/३६,३७ मोलिया (गुलिका) ज ४११२६ मणोज्ज (मनोज) प १०३८।१ ज २११०
Jain Education International
ज ४२६०११,५३४६३७१७८५११ उ ५१२८
मणोरह ( मनोरथ ) ज ३१८८, २२१ मनोहरमाला (मनोरथमाला) ज २२६५३११८६,
२०४
मणस्साउय-मत्थय
मोसिला (मनःशिला ) प ११२०१२ ज ३।११।३ मनोहर ( मनोहर ) प ३४११६,२१ ज २।१२;
७ ११७/१ सू १०१८६११
√ मण्ण (मन् ) मण्णामि प ११।१ मण्णे १।१५; ३६८
मति (मति ) प १३|१० ज २११ मतिअण्णाण ( मत्यज्ञान ) प ४१५, ७, १०, १२,१४, १६,१८,२०,५६,६३,२१/२,६,६,१२,१७,१६
से २१
मतिअण्णाण परिणाम (मत्यज्ञानपरिणाम ) प १३३१० मतिअण्णाणि ( मत्यज्ञानिन् ) प ३११०३, ५१८०,६६, ११७,१३ १४,१६,१७,१८८३
मतिणाण ( मतिज्ञान ) प २६/६ मत्त (मत्त ) ज २।१२
मत्त (अभत्र ) सू २०१४ उ १।६३, १०५, १०६ मत्तंग (मत्ताङ्ग ) ज २।१३
मत्तजला (मत्तजला ) ज ४१२०२
मत्तियावई ( मृत्तिकावती ) प १९३४ मत्थगसूल ( मस्तकशूल ) ज २१४३ मत्थय (मस्तक) ज ३१५,६,८,१२,१६,२६,३६,
४७,५३,५६,६२,६४,७०,७७,८१,८२,८४, ८८,६०,१००, ११४,१२६,१३३,१३८, १४२, १४५,१५१,१५७,१६५, १८१, १८७, १८६, २०५, २०६,२०६,२१८,५१५,२१,४६,५८ उ १।३६,४५, ५५,५८,८०,८३,६६.१०७, १०८,११६,११८,१२२, ३११०६,१३८, ४११५
५/१७
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390