Book Title: Agam 14 Jivajivabhigam Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 115
________________ आगम सूत्र १४, उपांगसूत्र-३, 'जीवाजीवाभिगम' प्रतिपत्ति/उद्देश-/सूत्र त्रीन्द्रिय पर्याप्त विशेषाधिक, उन से पंचेन्द्रिय अपर्याप्त असंख्येयगुण, उन से चतुरिन्द्रिय अपर्याप्त विशेषाधिक, उन से त्रीन्द्रिय अपर्याप्त विशेषाधिक, उन से द्वीन्द्रिय अपर्याप्त विशेषाधिक, उन से एकेन्द्रिय अपर्याप्त अनन्तगुण, उन से सेन्द्रिय अपर्याप्त विशेषाधिक, उन से एकेन्द्रिय पर्याप्त संख्येयगुण, उन से सेन्द्रिय पर्याप्त विशेषाधिक, उन से सेन्द्रिय विशेषाधिक हैं। प्रतिपत्ति-४-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् । (जीवाजीवाभिगम)- आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 115

Loading...

Page Navigation
1 ... 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136