Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 21
________________ रायपसेणी। तालतुडियषण मुयगर पडुप्पवादियरवेण दिब्बाइ भोगभोगाइ भुनमाणी विहरड़ दमवण केवलकाप्प जम्बुद्दीव दीव विउलेण उहिण भाभोएमाग ६ पासत्तिसमण भगव महावीर जम्बुद्दीवे दीवे भारडेवासे आमलकप्पाएनवरी- हिया अम्बसालवर्ण चेदए। दचएकपेय प्रवादित स्तन तपापानान्दन्हातपा यो रवम्तेनदिव्यात् दिविभवात् अतिप्रधानानी ग्य मोगभागाद) इति भीगाहीए भीगा शब्दादय स्तान् तब नपु मकतामाकृतत्वात, प्राकृधि निभाव्यभिचार बदाइ पाणिनि म्वप्राकृतलक्षणे निश्रा व्यभिचावपीति भुतानीविहरति भारतेन बचलनात शिखिम प्रत्यवतया उपलभ्यमान कंवलकल्प इपदपरिसमाप्त कंवल केवलकल्प परिपयतया कलममितिभाव । जम्वारत्नमय्या उत्तरकुरुवासिन्याउपलक्षितीहीपी नम्बटोपस्त नावदीप राहीपाभिधान द्वीप, विपुलन विस्तीग नवधिना ताय हि मर्याभाय ददाय विरय प्रयमा पूयिषी यावत्तिर्यऊ मध्येयान द्वीपसमुद्रानितिभवति विस्तीगरतनाभीगयन् अाभीगयन पारभावान पश्यति पनन सत्यप्यवधी यदितनावपयमाभोग न कति तदा न किञ्चि दपिनन जानाति पायति चेत्यादित (तत्यसम) मित्यादि तब तस्मिन विपुलनावधिना जम्बूदीप विषयHINमानमति घमण ग्राम्यति तपस्यति नानाविधमिति घमण, भगः समगश्वर्यादि RET Iव, पायस्य ममगुम्य रूपस्य यममा थिय, धर्मम्याथप्रयत्नस्यपणाम्भगडती गमा भगायास्तीतिभगवान , त भगवन्त मूरवीरविकान्ती धारयति कपायीन प्रतिविक्रामति सतबीर महारचातानी महावीरस्त जम्दृष्टीयभारताप यामलकापाया नगर्यावधिगम मानसनरत्ये पमास्तरपाटपाया पृथ्वीगिलापटकमम्पर्य कनिषय यमणगयासमृहिसम्परि ते यया प्रतिस्परावा गुठीमाभयमन नपमा पाल्मान भावयन्त पश्यति दृष्टार (तरित माय) तिसरतुरोऽतीरतुम्टतिभाव', पयवाहाटीनामविसमयमापनी यथा यही भगवानाम इति नुष्टस्ताप मृतवान यधामन्यमभूतय मया भगगनवनोकित , तोपरशादेवचितमानदिन परलो समस्याबारे परिपूस जनुदीपप्रतएर विम्तीण अवधिमानद की जीत द ननयो भगवर्तमान महावीरमतर जवृधीपनदिपा भरतबनविपर भारत' या धाममालवन वियद धयायोग्यपण माधुना पाचर १। Hinारन तक पा सनी नाल तान न मिय पर २। मुग, नगा का? A. For, far fr । नारले ली। भा। । मासीर, मा। । नारी, सर। ।दए, इति ।

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