Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 13
________________ 4 १२ रायपणी । उवत्तिवगामेण । मेउराया धारिणी देवी सामी समासदृश् परिसानिग्गया" राजा' जावपच्छवास । सिहासनस्यैव सस्थित संस्थान यस्य स सिहासनसस्थित । श्रतएव सुरूप शोभन रूपमाकारी यस्य स सुरूप | इतश्च सुरूपीयत श्राह । “मुत्ताजालनपूयन्तकम्मे” मुक्ताफलसमूहाः चितानि अन्तकर्मसु मान्तप्रदेशेषु यस्य स मुक्ताजालखचितान्तकर्मा । "आइयगस्यब्वर नवनीयतूलफासे" अजिनक चम्ममय वस्त्र रूत प्रतीतम्बूरी वनस्पतिविशेषो, नवनीत खचणा तूलमर्कतूल तेषामिव कोमलतयास्पशयस्य स याजिनकरुतवूरनवनीततूलस्पर्श । “सव्वरयेणामये " इत्यादि विशेषणकन्दवक प्राग्वत् ॥ छ ॥ (परावाधारिणोदेवी नावममोसरणसम्मत्तमिति) तम्या मामलकल्पाया नगर्याश्वेतीनामराजा, तस्य समस्तान्त पुरमधानाभार्या सकलगुणधारगा डारिणी नामदेवी । “जावसमोसरणसम्मत्त" मिति यावच्छब्दकारणात् राजवर्णकी, देवीवक समवसरणाज्ञ्वीपपातिकगमानुसारेण तावद्दक्तव्य यावत्समवसरण समाप्त, तथैव "तत्था आमलकल्पापनयरीएसेपणामरायाहोत्या । महयाहिमवन्त मलयमन्दरमहिन्दसारे अत्तन्तविसुद्वाराय कुलवसप्पभूप निरन्तर रायलक्स्त्राविराइयमामध्यीन बहुजया बहुमागा पूइए सत्वगुवासमि are मुद्र पुद्दाभिसित माउपिउनाए दयपत्त सीमष्करे सीमन्धरे खेमष्करे खेमन्धरे मणुस्सि दे जणवयपाले जणवयपुरोहिए सेडकरे नरपवरे पुरीसवरे पुरिससीई पुरिसवाग्ये पुरिसभासिवसे पुरिसवरपीयडरी पुरिसवरगन्धहत्थी श्रट्टेदित्तेचित्तं विछिन्नविपुलभवनसयाजाणवा हाइत्ते धनत्र हुजयरूवरजए आभोगपश्रगसपत्ते विविड्डियपउरभत्तपाणा वहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूए पडिपुन्नजन्तकीसकोट्ठागाराउहघरे चलवदुव्वलएयमित उदयकण्टय म्मलियकपटयम् सडियकण्टय अप्पडिकष्टय उदयसत्तु नियमत्तु मलियसत्तु निज्जियसत्तु परायियसत्तु बवगय डुभिक्खदीसमारि भयविमुक्क प्रेमसियम्मुभिक्ख पसन्तडित्वडमर रज्झम्पसासेमाणेविहरड araण सेयरसरत्नीधारिणीनासदेवी होत्या, सुकुमालपाणिपाया बहीणपुण्यपञ्चन्दियसरीरा वग्ग्रकजाणिकड देपावायोग्यक ते आमुमालवनमाहि अशोकचचकद्र तेह अशोकवृचहे विप्र थवीसिला पवचछद्र वनशोकवृचचेत्यप्रथिवी सिलापहवक्तव्यतावक वाईसुवजिहा परिजाणिव स्वेत नाम राजा धारणीनामदेवीपट्टराणी स्वामी भगवत श्रीमहावीर समोसखा परिपदीवा दिवानीकली स्वेतराजापणिवादिवाचावऊ यावत्सनि कोचिकनीपरिसेवाकरछद्र राजवर्णकराणीवर्णक ( पाठान्तराणि ) १ । उववातियगामेण । २। समोन नामसदो, जाव समोरण सम्मत्तम् । 41 व पच्छवास, जावपच्छ्वासति । राया । 3 सेराया, तेथासयोराय, मेराया । ४ । परिसानिग्ाया, परिवाणियया । ३। सभी ५। राजा, -

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