Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Stahanakvasi Author(s): Madhukarmuni, Ratanmuni Publisher: Agam Prakashan Samiti View full book textPage 9
________________ श्रीमान् सेठ एस. बादलचन्दजी चोरड़िया, मद्रास [जीवन-परिचय] राजस्थान के मारवाड़ प्रदेश में नागौर जिले में एक छोटा सा गांव, नोखा चांदावतों का है / यह धनिकों की बस्ती है / यहीं आपका जन्म वि. संवत् 1976 भाद्रपद कृष्णा 5 को धर्मनिष्ठ सुधावक स्व. श्री सिमरथमलजी सा. चोरडिया के यहाँ हुआ। आपकी मातुश्री का नाम श्रीमती गटुबाई था। वे सरलता, दयालुता, एवं निश्छलता की मूर्ति एवं धर्मपरायणा थीं। उनके सभी गुण आप में विद्यमान हैं। आपका प्रारंभिक शिक्षण राजस्थान में ही हुया / उसके बाद आप व्यवसाय हेतु आगरा पधार गये। आपके अग्रज श्री एस. रतनचन्दजी सा. चोरड़िया सुज्ञ श्रावक हैं / आपके अनुज श्री एस. सायरचन्दजी सा. एवं सबसे छोटे भाई स्व. श्री एस. रिखबचन्दजी सा. चोरडिया का वर्तमान में व्यवसाय केन्द्र मद्रास ही है। आप सभी भाई यहाँ फाइनेन्स के व्यवसाय में संलग्न हैं। आपकी बड़ी बहन पतासीबाई भी भद्र प्रकृति की महिला हैं / __आप सरलमना, गंभीर एवं धार्मिक प्रकृति के हैं। आपकी ही तरह अापकी धर्मपत्नी श्रीमती सुगनकंवरबाई भी धर्मभावना से अनुप्राणित हैं। अपने विवेकयत परुषार्थ एवं प्रामाणिकता की बदौलत प्रापने फाइनेन्स के व्यवसाय में अच्छी सफलता प्राप्त की और खब द्रव्योपार्जन किया. और उससे अनेक सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं तथा संस्थानों को सहायता प्रदान की है। आप वर्तमान में अनेक संस्थाओं से सम्बन्धित हैं--- उपाध्यक्ष-श्री वर्द्धमान सेवा समिति, नोखा (राजस्थान) संरक्षक -श्री जैन मेडीकल रिलीफ सोसायटी श्री एस. एस. जैन एज्युकेशनल सोसायटी श्री एस. एस. जैन जनसेवा समिति श्री अखिल भारतीय भ. महावीर अहिंसा प्रचार संघ सदस्य ---- श्री दक्षिण भारत स्वाध्याय संघ, मद्रास श्री आगम प्रकाशन समिति के भी पाप महास्तम्भ सदस्य हैं तथा प्रस्तुत आगम के प्रकाशन में आपने विशिष्ट सहयोग प्रदान किया है। पारमार्थिक कार्यों के लिये आपने एस. बादलचन्द चोरडिया ट्रस्ट भी बनाया है / सामाजिक, धार्मिक एवं जनहित के कार्यों में भी पाप यथाशक्ति अपने द्रव्य का सदुपयोग करते रहते हैं / परम्परा से ही आपके परिवार की स्वामीजी श्री हजारीमलजी म. सा के प्रति प्रगाढ श्रद्धाभक्ति रही है / आपकी पूज्य उपप्रवर्तक स्वामीजी श्री ब्रजलालजी म. सा. एवं बहुश्रुत युवाचार्य पं. र. मुनि श्री मिश्रीमलजी म. सा. 'मधुकर' के प्रति अटूट श्रद्धा है। आपकी धर्मभावना दिनोंदिन वृद्धिंगत हो ऐसी मंगल कामना है। 00 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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