Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Uvasagdasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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उवासगदसाओ
विणएणं पडिसुणेs, पडिसुणेत्ता तस्स ठाणस्स आलोएइ पडिक्कमइ निंदइ after fass विसोइ प्रकरणयाए अब्भुइ प्रहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्मं परिवज्जइ ॥
सद्दालपुसस्स उवासगपडिमा -पदं
८३. तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए पढमं उवासगपडिमं उवसंपज्जित्ता गं विहरइ ॥
८४. तए गं से सद्दालपुत्ते समणोवासए पढमं उदासगपडिमं अहासुतं महाकप्पं अहमगं अहातच्च सम्मं कारणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ आराहेइ ॥ ८५. तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए दोच्चं उवासगपडिमं एवं तच्चं चउत्थं पंचमं, छट्ठ, सत्तम, अट्टमं नवमं दसमं, एक्कारसमं उवासगपडिमं ग्रहासुत्तं ग्रहाकप्पं ग्रहामग्गं अहातच्च सम्मं कारणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ राहेइ ||
८६. तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए तेणं ओरालेणं विउलेणं पयत्तेगं पगहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के लक्खे निम्मंसे अट्टिचम्मावण fasaडियाभूए किसे धर्माणिसंतए जाए ||
सद्दालपुत्तस्स प्रणसण-पदं
८७. तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स श्रण्णदा कदाइ, पुव्वरत्ताव रत्तकाल - समयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स ग्रयं अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था – एवं खलु अहं इमेणं एयारूवेणं प्रोरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्ाहिएणं तवोकम्मेण सुक्के लक्खे निम्मंसे चिम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसंतए जाए । तं प्रत्थि ता मे उट्टाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे सद्धा-धि- संवेगे, तं जावता मे प्रत्थि उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार- परक्कमे सद्धा-धि-संवेगे, जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्थी विहरइ, तावता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणी जाव' उट्टियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते अपच्छिममारणंतियसंलेहणा-भूषणा -भूसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स, कालं प्रणवकंखमाणस्स विहरितए - एवं संपेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उद्वियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते अपच्छिममारणंतियसंलेहणा - भूसणा-भूसिए भत्तपाण- पडियाइक्खिए कालं प्रणवकखमाणे विहरइ ॥ सद्दालपुत्तस्स समाहिमरण-पदं
८८. तणं से सद्दालपुत्ते समणोवासए बहूहिं सील व्वय-गुण- वेरमण-पच्चक्खाणपोसहोववासेहि अप्पाणं भावेत्ता वीसं वासाई समणोवासगपरियागं पाउणित्ता,
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